मुम्बई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत के निजी क्षेत्र के साथ सामरिक गठजोड़ मॉडल लागू कर रही है और हमारी कोशिश है कि विदेशों की तरह ही भारतीय कंपनियां भी लड़ाकू विमान से लेकर हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बी तक का निर्माण इसी धरती पर करें।
छह स्कार्पीन श्रेणी की पनडुब्बी की श्रृंखला में पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी के जलावतरण समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हमारी रक्षा शक्ति, आर्थिक शक्ति, तकनीकी शक्ति के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंध की शक्ति, लोगों के विश्वास की शक्ति, देश की साफ्ट पावर की शक्ति, इन सभी अवयवों में एक प्रकार का सामंजस्य हो। ये परिवर्तन आज के समय की माँग हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत के निजी क्षेत्र के साथ सामरिक गठजोड़ मॉडल लागू कर रही है। हमारी कोशिश है कि विदेशों की तरह ही भारतीय कंपनियां भी लड़ाकू विमान से लेकर हेलीकॉप्टर, टैंक से लेकर पनडुब्बी तक का निर्माण इसी भूमि पर करें। भविष्य में यही सामरिक गठजोड़ भारत के रक्षा उद्योग को और मजबूत बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े सामान की खरीद में भी तेजी लाने के लिए भी अनेक नीतिगत फैसले लिए हैं । रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय स्तर पर वित्तीय अधिकारों में भी बढोतरी की गई है । पूरी प्रक्रिया को और सरल तथा कारगर बनाया गया है। इन महत्वपूर्ण सुधारों से रक्षा-व्यवस्था और देश की सेनाओं की क्षमता और भी मज़बूत होंगी।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में रक्षा और सुरक्षा से जुड़ी पूरी पारिस्थितकी में बदलाव की एक शुरुआत हुई है । बहुत नई पहल की गई है। जहाँ एक ओर हम आवश्यक साजो सामान के विषय को प्राथमिकता के साथ ले रहे हैं, वहीं देश में ही आवश्यक प्रौद्योगिकी के विकास के लिए सक्रिय एजेंटा भी तय किया जा रहा है।
मोदी ने कहा कि लाइसेंस की प्रक्रिया से निर्यात की प्रक्रिया तक, हम पूरी प्रणाली में पारदर्शिता और संतुलित प्रतिस्पर्धा ला रहे हैं। विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। अब 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आटोमेटिक रूट से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रक्षा सेक्टर के कुछ क्षेत्रों में तो अब 100 प्रतिशत एफडीआई का रास्ता खुल गया है। रक्षा खरीद प्रक्रिया में भी हमने बड़े बदलाव किये हैं। इनसे मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिल रहा है। इससे रोजगार के भी नए अवसरों का सृजन हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां रक्षा सेक्टर के उत्पाद बनाएं और उसे दुनिया भर में निर्यात करें, इसके लिए रक्षा निर्यात नीति में भी हमने आमूल-चूल परिवर्तन किया है। जो उत्पाद यहां बन रहे हैं, वो हमारे सैन्य बल भी आसानी से खरीद सकें, इसके लिए लगभग डेढ़-सौ उत्पादों की एक सूची बनाई गई है। इनकी खरीद के लिए सैन्य बलों को आडर्नेस फैक्टरी से मंजूरी की जरूरत नहीं है, वे सीधे प्राइवेट कंपनियों से ये उत्पाद खरीद सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि आईएनएस कलवरी के निर्माण में लगभग 12 लाख मानव दिवस लगे हैं। इसके निर्माण के दौरान जो तकनीकी दक्षता भारतीय कंपनियों को, भारतीय उद्योगों को, छोटे उद्यमियों को और हमारे इंजीनियरों को मिली है, वो देश के लिए एक तरह से “प्रतिभा खजाना’’ है। यह कौशल हमारे लिए एक पूंजी है जिसका लाभ देश को भविष्य में लगातार मिलेगा।