सरकारी कर्मचारियों के पीआईएल करने पर, केंद्र सरकार बना रहा नीति

central government employeesलखनऊ, भारत सरकार अखिल भारतीय सेवा और अन्य सेवाओं के कर्मियों द्वारा जनहित याचिका दायर करने के सम्बन्ध में एक नीति तैयार कर रहा है। यह तथ्य आरटीआई से मिली एक जानकारी के बाद सामने आया है।

दरअसल आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 09 अप्रैल 2014 को केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को सरकारी सेवकों द्वारा जनहित याचिका दायर करने के सम्बन्ध में एक स्पष्ट नीति बनाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह धमकी कांड के बाद 13 जुलाई 2015 को अमिताभ के निलंबन में उनके द्वारा जनहित याचिका दायर करने को एक प्रमुख आधार बनाया गया था। अमिताभ ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार से हाई कोर्ट के आदेश के पालन के सम्बन्ध में आरटीआई में सूचना मांगी थी। इस पर एस.के. रस्तोगी, उप सचिव (पुलिस) ने कहा है कि गृह मंत्रालय को इस आदेश की प्रति कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के पत्र 07 मई 2015 के माध्यम से प्राप्त हुई थी। इस पत्र का परीक्षण करने के बाद गृह मंत्रालय ने अपने पत्र 30 दिसम्बर 2016 द्वारा डीओपीटी को अखिल भारतीय सेवाओं का नोडल प्राधिकारी होने के नाते इस सम्बन्ध में नीति बनाने का अनुरोध किया है। गृह मंत्रालय ने इससे सम्बंधित नोटशीट और पत्राचार को आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(एच) और 8(1)(जे), जो क्रमशः विवेचना और व्यक्तिगत सूचना से सम्बंधित है, के अंतर्गत देने से मना कर दिया है।

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