आज जिस तरह की भागमभाग संस्कृति वाली जीवनशैली विकसित हो रही है उस से मानव मशीन की तरह काम करने लगा है। प्रकृति से नाता टूटता जा रहा है। प्रकृति से दूर रहने का खमियाजा भी लोग भुगत रहे हैं। शारीरिक रुग्णता आज आम बात हो गई है। इस का प्रभाव मानसिक विकास को अवरुद्ध करता है। इस से दिमागी शक्ति कमजोर होती है। इस कमजोर हुई दिमागी शक्ति को फिर से प्राप्त करने के लिए की जाने वाली कसरत का नाम है-न्यूरोबिक ऐक्सरसाइज। इस पर अमल कर के दिमाग के तमाम न्यूरल लिंक्स को ऐक्टिव बनाया जाता है। दिमागी निष्क्रियता के कारण रुटीन जिंदगी: आमतौर पर अधिकतर लोग एक ही तरह की जीवनशैली को जीवन जीने की राह बना लेते हैं। उन का ढर्रा एक ही होता है। मसलन, सुबह 8.30 बजे तक औफिस जाने के लिए तैयार हो जाना, 9 बजे घर से निकल जाना, वही रास्ते, वही पगडंडियां होते हुए बस या स्कूटर पर सवार हो कर 10 बजे तक किसी तरह औफिस पहुंच जाना। औफिस में वही रुटीन वर्क। शाम को 6 बजे औफिस से निकलना। घर जाने के लिए वही रास्ता, उसी फल वाले से फल खरीदना, सब्जी वाले से सब्जी, उसी ठिकाने पर ब्रैड, बटर और बिस्कुट खरीदते हुए घर पहुंच जाना।
ठीक 7.30 बजे जब घर की घंटी बजती है तो पत्नी समझ जाती है कि वे आ गए हैं और बच्चे रोज की तरह दौड़ कर दरवाजा खोल कर पापा का स्वागत करते हुए टौफी की फरमाइश करते हैं। पापा हमेशा की तरह घर में पहुंचते ही मुंहहाथ धोते हैं, तब तक पत्नी चाय बनाती है फिर टीवी का कोई प्रोग्राम देखते हुए चाय की चुस्कियां लेना और घर की समस्याओं से रूबरू होना प्रतिदिन के रुटीन में शामिल है। फिर पत्नी खाना बनाने में लग जाती है। पति महोदय बच्चों से स्कूल के रुटीन होमवर्क पर चर्चा करते हैं। हमेशा की तरह कोई टीवी सीरियल देखते हुए भोजन किया जाता है। उस के बाद बच्चे अपने कमरे की ओर और दंपती अपने बैडरूम की ओर। ताकि अगले रोज के रुटीन की फिर शुरुआत हो। इसी बंधीबंधाई रुटीन जिंदगी से दिमाग निष्क्रिय सा हो जाता है। वह तमाम गतिविधियों को परवर्ती क्रिया की तरह अंजाम देता है। सामाजिक दूरी: यह भी देखा गया है कि बहुत से लोग अपने रुटीन से बंधी जीवनशैली के चलते समाज से भी दूर होते जाते हैं।
औफिस में तो रोज वही सहयोगी मिलेंगे परंतु बाहर निकलने पर आप नए लोगों से परिचय करेंगे या पुराने दोस्तों से भूलीबिसरी यादों को सुनसुना कर दिमागी थकान को समाप्त कर सकते हैं। समय नहीं होने का बहाना तो ठीक है परंतु दिमागी निष्क्रियता को खत्म करने में सामाजिक मेलजोल बहुत ही महत्त्व रखता है। एक ही व्यक्ति से रोज मिलने पर वही रुटीन की बातें की जाती हैं परंतु नए लोगों से मिल कर थकान कम की जा सकती है।
खतरनाक है रुटीन लाइफ: मैडिकल विशेषज्ञों ने मनुष्य की इस रुटीन लाइफ पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। विशेषज्ञों का कहना है कि तयशुदा जीवनचर्या आप के मस्तिष्क को निष्क्रिय बना देती है। यदि आप अपने मस्तिष्क न्यूरल लिंक्स का अधिकतम इस्तेमाल नहीं करते हैं और उसे सक्रिय नहीं बनाए रहते, तो ये न्यूरल लिंक्स आप के मस्तिष्क में मृत हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूरल लिंक्स के खत्म होने का मतलब है कि आप की याददाश्त का अचानक खत्म होते जाना और आप की क्रिएटिविटी या रचनाशीलता का धीरेधीरे खत्म होते जाना। हमारा दिमाग अद्भुत शक्तियों का खजाना है। इस की काबिलीयत की कोई सीमा नहीं है। मछली बाजार में कई लोग सिर्फ सूंघ कर ताजा या बासी मछली का पता लगा लेते हैं। हम में से कई लोग ऐसे हैं जो सिर्फ सूंघ कर या छू कर सब्जी, ब्रैड या अन्य चीजों की ताजगी का अंदाजा लगा लेते हैं। हमारी ज्ञानेंद्रियों में बड़ी ताकत है। तभी तो अचार को देख कर ही मुंह में पानी आ जाता है। हम घर बैठे कुल्लूमनाली की ठंड या जैसलमेर की रेतीली आंधी का अनुभव कर सकते हैं।
क्या है न्यूरोबिक्स कसरत: पेट स्कैन द्वारा आप न्यूरोबिक्स कसरत की अहमियत को जान सकते हैं। मिसाल के तौर पर यदि आप किसी अजनबी से मिलते हैं तो पेट स्कैन यह दर्शाएगा कि दिमाग का कुछ खास क्षेत्र अधिक ऐक्टिव हो जाता है लेकिन इसी व्यक्ति से दूसरी बार मुलाकात करने पर दिमाग के उस क्षेत्र में सक्रियता कम दिखाई देती है। पेट स्कैन बदलाव को प्रकाश के जरिए दर्शाता है। पहली बार पेट स्कैन में तेज प्रकाश होता है तो दूसरी बार यह धुंधला हो जाता है। पेट स्कैन में दूसरी बार धुंधले प्रकाश का मतलब है कि आप के दिमाग का न्यूरौन पहली बार उस अजनबी को पहचानने के लिए ऐक्टिव यानी सक्रिय हो चुका है। लिहाजा, दूसरी बार उस में एक्टिवेट या सक्रिय होने की जरूरत नहीं रह जाती है। न्यूरोबिक्स कसरत का मकसद यह है कि दिमाग के अपने संदेशवाहक रास्ते ज्यादा से ज्यादा सक्रिय हों और नए रास्तों का विकास हो ताकि ब्रेन सर्किटों की कार्यक्षमता बनी रहे।
न्यूरोबिक्स कसरत न केवल नामों को याद रखने की क्षमता विकसित करती है, बल्कि यह हमारे मस्तिष्क को कुछ नई बातों को जाननापहचानना सिखाती है। हम कई बार किसी व्यक्ति से दूसरी बार मिलने पर मात्र उस के पसीने की गंध, उस के द्वारा इस्तेमाल किए गए परफ्यूम की गंध से ही उसे पहचान लेते हैं। जब आप का दिमाग किसी को पहचानने या जानने के लिए कार्य करता है तब दिमाग में न्यूरोट्रोफिन नामक ब्रेन विटामिन का संचार होता है। यह दिमाग का भोजन होता है जो डैंड्राइट्स को चलायमान करने में सहायता करता है। डैंड्राइट्स यानी मस्तिष्क के संदेशवाहक न्यूरोरौंस आखिर में कई शाखाओं में बंटे होते हैं जो एक जालनुमा रचना बनाते हैं। डैंड्राइट्स के स्वस्थ रहने से ही मस्तिष्क को क्लियर संदेश मिलते हैं। बढ़ती उम्र के साथसाथ तथा लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने से डैंड्राइट्स कमजोर हो जाते हैं। मस्तिष्क का भोजन यानी न्यूरोट्रौफिन मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस नामक क्षेत्र के लिए बहुत कारगर साबित होता है। मस्तिष्क का यह हिस्सा ध्वनि, स्वाद, गंध, स्पर्श और दृश्य पर आधारित याददाश्तों को लंबे समय तक बनाए रखता है।
न्यूरोबिक की कार्यप्रणाली: न्यूरोबिक दरअसल आप के मस्तिष्क के भोजन न्यूरोट्रौफिन को मस्तिष्क के सभी हिस्सों में पहुंचाने के लिए नर्व सैल्स की सहायता से नए ब्रेन सर्किट का निर्माण करती है। व्यवहार में थोड़ाबहुत परिवर्तन करते रहने से इस में सक्रियता आती है। जैसे आप आमतौर पर पैन से लिखते हैं तो किसी दिन पैंसिल से लिखिए और इसी प्रकार आप अपनी आदतों में परिवर्तन लाइए। इस से आप के मस्तिष्क में स्पर्श पर आधारित सक्रियता में थोड़ा बदलाव होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि ब्रेन सर्किट नए तंतुओं को अपने क्रियाकलाप में शामिल कर लेंगे और इस प्रकार आप अपनी रुटीन आदतों में थोड़ा बदलाव कर के मस्तिष्क की सक्रियता को बढ़ा सकते हैं।
- न्यूरोबिक कसरत के कुछ महत्त्वपूर्ण नुसखे…
- कभीकभार अंधे या गूंगे बन कर अन्य सैंस के सहारे अपना कार्य करने की कोशिश करें।
- अपने वस्त्रों को चुनते समय या दरवाजा खोलते समय आंखें बंद कर लें और स्पर्श के आधार पर यह कार्य करने की चेष्टा करें।
- बाथरूम में नहाते समय आंखें बंद कर के साबुन, शैंपू आदि का इस्तेमाल करें।
- अपने परिवार के सदस्यों के साथ कभीकभी आंखों व हाथों के इशारों के सहारे बातचीत करें।
- दो इंद्रियों का एकसाथ इस्तेमाल मसलन, सुगंधित मोमबत्ती को जला कर उस की खुशबू का आनंद लेते हुए पसंदीदा गीतसंगीत का लुत्फ उठाएं।
- शौक एवं आदतों में बदलाव लाएं जिस से कि जीवन की एकरसता टूटे।
- कोई असामान्य कार्य करें जिस में प्रेम, क्रोध, आनंद, भावुकता जैसी भावनाओं को अलग ढंग से प्रकट करने की कोशिश हो।
- कभीकभार पसंदीदा चीज को छोड़ कर नापसंद चीजों को भी आजमाएं।
- कभी वीकऐंड में पहाड़ों की सैर करें -अपने बच्चे को दफ्तर में ले जाएं।
- शतरंज के बदले बैडमिंटन खेलें।
- किसी अजनबी से अर्थपूर्ण बातें करें।
- औफिस जाने से पूर्व पत्नी से आलिंगनबद्ध हो कर मिलें। अपनी रुटीन लाइफ में यों लाएं बदलाव -कभीकभार अपने दफ्तर जाने का रास्ता पूरी तरह बदलें।
- कपड़े पहनने या बाल संवारने की स्टाइल बदलें।
- घर या कार्यालय का फर्नीचर रिअरेंज करें।
- यदि घड़ी बाएं हाथ में पहनते हों तो दाएं हाथ में पहनें।
- इन चीजों से बचें…
- मस्तिष्क पर अत्यधिक या बहुत कम जोर देने से।
- शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम और सोडियम पोटैशियम क्लोराइड के स्तर में असंतुलन होने से।
- मस्तिष्क में औक्सीजन की आपूर्ति के कम होने से। -मस्तिष्क में दोषपूर्ण जानकारियों के एकत्रीकरण से।
- असंतुलित एवं आवश्यकता से कम भोजन करने से।
- ड्रग्स लेने से। -हाई ऐंड लो ब्लडप्रैशर तथा शुगर से।
- थकावट व मानसिक तनाव से।