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हिमालयी राज्यों में लुप्त हो चुके झरनों का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण

नई दिल्ली,  जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक फैले हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में लुप्त हो गये झरनों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार एक सर्वेक्षण कराएगी ताकि स्थानीय लोगों के सामने मौजूद जल संकट का समाधान निकाला जा सके। केंद, सरकार इस तरह की पहली कवायद कर रही है। जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकारों के सहयोग से सर्वेक्षण कराया जाएगा। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने परियोजना के पहले चरण में उत्तराखंड और सिक्किम में पायलट अध्ययन के लिए मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है।

अधिकारियों के मुताबिक परियोजना के पहले चरण में जिन झरनों को चिह्नित किया जाएगा, दूसरे चरण में उनका जलस्रोतों के रूप में पुनरऊद्धार किया जाएगा। मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही परियोजना शुरू हो सकती है। अधिकारियों ने कहा, पर्वतीय क्षेत्रों के लोग दो संसाधनों पर प्रमुख तौर पर निर्भर करते हैं जिनमें झरने और नदियां हैं। लेकिन देखा गया है कि झरने सूख गये हैं, कई जगहों पर भूस्खलन, जलवायु परिवर्तन आदि कारणों से गायब हो गये हैं।

उन्होंने कहा, इसलिए जल संकट से दीर्घकालिक तरीके से खासतौर पर गर्मियों के मौसम में समस्या से निपटने के लिए सीजीडब्ल्यूबी ने पहले इस तरह के प्रयास में अध्ययन करने की पेशकश की है।्य्य सूत्रों ने उत्तराखंड के गौरीकुंड में एक गर्म पानी के स्रोत का उदाहरण दिया जो 2013 की बाढ़ और भूस्खलन के बाद लुप्त हो गया था। सीजीडब्ल्यूबी वहां भी सर्वेक्षण करा चुका है। अधिकारियों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने राज्य में लुप्त हो गये दो झरनों के मुद्दे पर भी केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती से बातचीत की थी।