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अल्पसंख्यक आयोग ने कहा,सरकार के दबाव में बयान बदल रहे हैं बंगाल के हिंसा पीड़ित परिवार

नयी दिल्ली,  पश्चिम बंगाल में हालिया पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि राज्य सरकार के दबाव के कारण पीड़ित परिवारों के लोग अपने बयान बदल रहे हैं।

दरअसल, भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने शेख दिलदार नामक अपने मुस्लिम कार्यकर्ता की हत्या के बाद आयोग से शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि राज्य की ममता बनर्जी सरकार की शह पर तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने कई स्थानों पर उनके ‘मुस्लिम कार्यकर्ताओं पर हमले किए हैं। इस शिकायत के बाद आयोग के दो सदस्यीय दल ने 27 और 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का दौरा किया जहां भाजपा के एक मुस्लिम कार्यकर्ता की हत्या हुई थी और कुछ अन्य लोगों पर कथित तौर पर हमले हुए थे।

आयोग को सौंपी रिपोर्ट में भाजपा के मारे गए कार्यकर्ता के परिवार का हवाला देते हुए इस दल ने कहा है, ‘‘जब पीड़ित परिवार के सदस्यों से घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता नहीं कि घटना के पीछे कौन लोग थे। हालांकि परिवार के लोगों ने पहले घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया था।’’

इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रशासन के दबाव की वजह से पीड़ित परिवार के लोग अपने बयान बदल रहे हैं।अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा, ‘‘हमारी टीम हिंसा से पीड़ित कई परिवारों से मिली, लेकिन सरकार का दबाव इतना ज्यादा है कि लोग कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। हम जल्द ही अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजेंगे।’’