Breaking News

बीजेपी सरकार की कारपोरेट परस्त नीतियों पर, अखिलेश यादव का बड़ा हमला

लखनऊ,  समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भारतीय जनता पाटी  सरकार कारपोरेट घरानों की सुख सुविधा के विस्तार के काम में लगी हुई है, इससे देश की सारी पूंजी चंद घरानो में ही सिमटकर रह गई है।

अखिलेश यादव ने  जारी बयान में कहा कि भाजपा ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करने के साथ जनसामान्य की जिंदगी को भी तबाह करने का काम किया है। भाजपा की प्राथमिकता में कभी गरीब, किसान, नौजवान नहीं रहे हैं इसलिए जनहित की कोई योजना केंद्र या राज्य की भाजपा सरकारों ने लागू नहीं की। वे कारपोरेट घरानों की सुख सुविधा के विस्तार के काम में ही लगी रही है। इसलिए देश की सारी पूंजी चंद घरानो में ही सिमटकर रह गई है।

उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पेट्रोलियम मंत्री की बातचीत भी बेनतीजा रही क्योंकि तेल कंपनियों पर उनका कोई अंकुश नहीं दिखाई दिया। पेट्रोलियम मंत्री ने तो साफ कह दिया है कि सरकार तेल कंपनियों के पेट्रोल-डीजल के रोजाना मूल्य समीक्षा में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।

अखिलेश ने कहा कि सरकार की निष्क्रियता से डीजल के दाम बढ़ने से जहां माल भाड़ा बढ़ गया है वही घरेलू अर्थव्यवस्था भी बिगड़ गई है। एक अप्रैल 2018 को जो डीजल 64.00 रूपए लीटर था 16 अक्टूबर 2018 को वह 73.67 रूपए लीटर हो गया है। थोक मार्केट में 4 रूपये प्रति किलो तक तेल-आटा के दाम बढ़ गए है। माल भाडे़ में अभी 5 फीसदी बढ़त है जो आने वाले दिनों में 10 प्रतिशत तक होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार में किसानो को मुफ्त सिंचाई सुविधा दी गई थी। भाजपा सरकार ने डीजल महंगा कर सिंचाई मंहगी कर दी और किसानों को कर्जदार बनाने का रास्ता बनाने का नया रास्ता खोल दिया है। भाजपा राज में 50 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके है। उन्होंने कहा कि भाजपा के काले कारनामों ने नौजवानों और किसानों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। नौजवानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने जो भर्तियां शुरू की थीए भाजपा की राज्य सरकार ने उन्हें भी किसी न किसी बहाने रोक दिया है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भाजपा की विफल नीतियाें के चलते देश संकट ग्रस्त हो गया है। औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आ रही है। भाजपा के सभी दावे झूठे साबित हुए है। बाहर से निवेश आ नही रहा हैं आयात बढ़ा है जबकि निर्यात में गिरावट आई है। स्वास्थ्य योजनाएं ध्वस्त है। कानून व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। महिलाएं एवं बच्चियां तक सुरक्षित नही। अब जनता इससे निजात पाने के लिए व्याकुल है।