पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठजोड़, उपचुनाव मे तोड़ सकता है पुराने रिकार्ड
May 3, 2018
लखनऊ, नामांकन की प्रकिया शुरू होने के साथ ही कैराना लोकसभा और नुरपुर विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिक गईं हैं. यहां भी भाजपा के लिये बड़े खतरे की घंटी बज चुकी है. पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठजोड़, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद एक बार फिर पुराने रिकार्ड तोड़ सकता है.
गोरखपुर और फूलपुर में मात खा चुकी बीजेपी उपचुनाव को लेकर गंभीर है. लेकिन वह भी, आने वाले तूफान को देखकर सहमी हुयी नजर आ रही है. यह बड़ा तूफान पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठजोड़, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद एक बार फिर पुराने रिकार्ड तोड़ सकता है.
नूरपुर में , 2017 मे बीजेपी को कुल 79172, सपा को 66436 और बीएसपी तीसरे नंबर पर रही थी, जिसे 45902 वोट मिले थे.बीजेपी यहां 12736 वोटो से जीती थी. सपा और बसपा का पिछला वोट ही अगर दोनों दलों के संयुक्त प्रत्याशी को मिल गया तो भी सपा-बसपा की भारी जीत होगी. ऊपर से पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठजोड़ नया रिकार्ड बनाने की तैयारी मे है.
कैराना लोकसभा चुनाव में, साल 2014 मे भाजपा को कुल 5,65,909 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी को 3,29,081 वोट मिला था और तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी रही थी, जिसे 160414 वोट मिले थे. यह वह समय था जब मोदी लहर थी. अब मोदी लहर तो क्या उल्टे एंटी-इनकम्बेनसी का खतरा बीजेपी पर मंडरा रहा है. योगी सरकार से भी यहां का मतदाता संतुष्ट नही है.
सूत्रों के अनुसार, पिछले उपचुनावों की तरह कैराना लोकसभा और नुरपुर विधानसभा उपचुनाव मे पिछड़ा और दलित एकता की लहर भाजपा के लिये भारी तबाही ला सकती है. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की तरह सपा- बसपा के कार्यकर्ताओं मे उपचुनाव को लेकर एजेंडा बिल्कुल साफ है. दलितों और पिछड़ों की गोलबंदी एकबार फिर भाजपा के खिलाफ जाती दिख रही है.