Retired person gathered for a rally at RRmAvenue during a hot and humid day . The rally convened by the West Bengal State Government Pensioners Committee to protest against the state government's alleged apathy towards the committee's complaints of pending dues and formation of the Sixth Pay Commission in the State. Express Photo by Partha Paul. Kolkata. 14.05.15
नई दिल्ली, सरकारी कर्मचारियों द्वारा मेहनत से कमाई गई तनख्वाह का एक अच्छा खासा भाग पेंशन के नाम पर कट जाता है. कर्मचारी पेंशन को अपनी बुढ़ापे की लाठी मानकर अपना पेट काटकर भी इसमे पैसै जमा करतें हैं. लेकिन अगर उनकी यही रकम मे गोलमाल हो जाये तो जानिये उनपर क्या गुजरेगी? एेसा ही हुआ है, यूपी के सरकारी कर्मचारियों के साथ. यह खुलासा देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी सीएजी की एक रिपोर्ट मे हुआ है.
सीएजी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, यूपी मे लाखों सरकारी कर्मचारियों की पेंशन में भारी गोलमाल की बात सामने आयी है. उनके पेंशन के लिए वेतन से कटी रकम ‘गायब’ है. यूपी में नई पेंशन व्यवस्था(एनपीएस) के अंतर्गत तीन साल में राज्य कर्मचारियों के वेतन से कितनी धनराशि काटी गई और सरकार ने कितना जमा किया इसमे भारी गोलमाल है. सूत्रों के अनुसार, इसका कोई सही ब्यौरा उपलब्ध नही है. बात यहीं खत्म नही होती है बाद के वर्षों में भी जो धनराशि से उनके वेतन कटी उसे भी ठीक से संबंधित खाते में जमा नहीं किया गया है.
कैग की वर्ष 2018 की रिपोर्ट नंबर एक के अनुसार, नई पेंशन योजना के अंतर्गत यूपी में कर्मचारियों के वेतन से 2005 से 2008 तक हुई कटौती की धनराशि का ब्यौरा ही उपलब्ध ही नहीं है. कितनी धनराशि सरकार ने काटी और कितना अंशदान सरकार ने किया यह ब्यौरा उपलब्ध नही है. यह भी नहीं पता चला कि अगर कटौती हुई तो उससे अर्जित एनएसडीएल में जमा हुआ या नहीं. इन तीन सालों मे कितनी धनराशि का निवेश हुआ यह भी नहीं पता चल सका.
वर्ष 2008-09 के बीच सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के लिए वेतन से 2830 करोड़ रुपये की कटौती हुई. जिसके लिये राज्य सरकार ने सिर्फ 2247 करोड़ रुपये अंशदान किया. कर्मचारी और सरकारी अंश मिलाकर 2008-09 से लेकर 2016-17 के बीच कुल 5660 करोड़ रुपये जुटे. इसमें से सिर्फ 5001.71 करोड़ रुपये ही सरकार ने पेंशन वाले खाते में भेजा. 545.68 करोड़ रुपये भेजा ही नहीं गया. सबसे गंभीर बात यह रही कि 2015-16 में कर्मचारियों का अंश जो 636.51 करोड़ था, वह 2016-17 में 199.24 करोड़ हो गया. यह पैसा ट्रांसफर करने में बड़ी अनियमितता है.
सीएजी ने नई पेंशन योजना में यूपी में हुए घपले पर तत्काल एक्शन की सिफारिश करते हुये राज्य सरकार से कहा है कि इस बाबत तत्काल कार्रवाई की जाए. सभी कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम से जोड़ते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके वेतन से जितनी धनराशि कट रही है और जितनी धनराशि सरकार जोड़ रही है, वह समय से NSDL खाते में पहुंचे.
दरअसल, नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी के वेतन से होने वाली 10 फीसदी कटौती को सरकार बाजार में लगाती है, फिर उससे होने वाले लाभ के आधार पर ही सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट पर पेंशन मिलेगी. राज्य कर्मी नई पेंशन स्कीम को घाटे का सौदा मानते हैं. उनका कहना है कि पुरानी व्यवस्था के तहत सब कुछ निश्चित होता था. लेकिन नई पेंशन स्कीम के तहत हानि-लाभ सब बाजार पर निर्भर करता है. बाजार में अगर शेयर गिरेंगे तो नुकसान होगा. एेसे मे बुढ़ापे मे किसी का भविष्य सुरक्षित नही है.
कर्मचारी संगठनों द्वारा पहले ही सरकार की नई पेंशन स्कीम का विरोध कर इसे कर्मचारियों के साथ धोखा बताया जा रहा है और पुरानी पेंशन बहाली की मांग की जा रही है. पुरानी पेंशन की मांग को लेकर, सबसे लंबे समय से आंदोलनरत संगठन अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधूजी ने कहा कि यह गोलमाल तो अभी यूपी मे सामने आया है. जबकि देश के हर राज्य मे इससे बड़ा गोलमाल कर्मचारियों की पेंशन की धनराशि मे किया जा रहा है. उन्होने तत्काल इसकी जांच की मांग करते हुये इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला बताया है.