लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा का बड़ा लक्ष्य , पर चुनौती उससे बड़ी ?
July 5, 2018
नई दिल्ली, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिर्जापुर में मिशन-2019 का खाका खींचा। उन्होने चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक मत भाजपा के खाते में लाने की रणनीति बनायी है।
2014 में भाजपा को गठबंधन सहित 73 सीटें मिली थीं। इस बार इनकी संख्या 74 तो हो सकती है लेकिन 72 नहीं होगी। यह दावा अमित शाह ने किया है । जबकि जमीनी हकीकत यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी यूपी मे अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिये परेशान है।
मिर्जापुर में मिशन-2019 की जीत की रणनीति बताते समय, पार्टी की जीत के समीकरणों की चिंता शाह के चेहरे पर स्पष्ट दिखायी दे रहीं थीं। चिंता हो भी क्यों न क्योंकि यूपी मे पिछड़ने का मतलब है केंद्र की सत्ता का हाथ से जाना। क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है। लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के लिये यूपी मे सबसे बड़ी मुसीबत सपा और बसपा गठबंधन का मजबूत जोड़ है। अगर यह गठजोड़ पूरी दम के साथ उतर गया तो बीजेपी के लिये यूपी मे एक भी सीट जीत पाना मुश्किल होगा।
अमित शाह ने बैठक में सपा और बसपा गठबंधन से निपटने के लिये कार्यकर्ताओं को बूथों को मजबूत करने और विस्तारकों को घर-घर जाकर संपर्क करने का एजेंडा सौंपा। विस्तारकों से उनके क्षेत्रों के बारे में गहराई से पूछतांछ की तो लोकसभा चुनाव की तैयारी के कुछ गुर भी बताए। उनका कहना था कि पार्टी के लोग बूथों की मजबूती बनाए रहें और केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की उपलब्धियों व योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने में कामयाब रहे तोसपा-बसपा गठबंधन की गणित भाजपा की जीत का रास्ता रोक नहीं पाएगी।
निश्चित तौर पर, लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने यूपी के लिये बड़ा लक्ष्य रखा है। चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक मत भाजपा के खाते में लाने की रणनीति शत प्रतिशत जीत सुनिश्चित करने वाली रणनीति है। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के आगे इस रणनीति का सफल होना मुश्किल है। बीजेपी को चाहिये लक्ष्य से बड़ी चुनौती का मुकाबला वह कैसे करेगी इस पर विचार करे नही तो यह बड़ा लक्ष्य भी कहीं एक नया जुमला न सिद्ध हो।