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सोशल मीडिया पर आतंकवादी संगठनों से जुड़े चरमपंथियों की पहचान का तरीका ढूंढ निकालने का दावा

वॉशिंगटन,सोशल मीडिया पर अब आपत्तिजनक चीजें लिखने, बोलने या साझा करने से पहले ही उनकी पहचान मालूम हो सकेगी।वैज्ञानिकों ने सोशल मीडिया पर आतंकवादी संगठनों से जुड़े चरमपंथियों की पहचान का तरीका ढूंढ निकालने का दावा किया है।

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सोशल मीडिया के शोधकर्ताओं 5,000 ऐसे ट्विटर के आंकड़े इकट्ठा किए, जिनसे आईएसआईएस व चरमपंथियों सदस्य परिचित थे या जो आईएसआईएस के कई ज्ञात सदस्यों से मित्र या फॉलोवर के तौर पर जुड़े थे।साथ ही उन्होंने इन उपयोक्ताओं की टाइमलाइन से 48 लाख ट्वीटों के विषय-वस्तु की समीक्षा करने के अतिरिक्त उन्होंने खातों के निलंबन का भी पता लगाया।

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मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के तौहीद जमां ने कहा, सोशल मीडिया चरमपंथी संगठनों के लिए ताकतवर मंच बन गया है, चाहे यह आईएसआईएस हो या श्वेत राष्ट्रवादी ‘ऑल्ट-राइट’ ग्रुप हो ये समूह नफरत से भरे दुष्प्रचार फैलाने, हिंसा भड़काने और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए सोशल नेटवर्कों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह आम लोगों के लिए खतरा बन गया है।

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सोशल मीडिया शोधकर्ताओं ने आईएसआईएस और अल-कायदा से हमदर्दी रखने वालों और उनकी ओर से ट्विटर पर डाली गई ऐसी सामग्रियों पर ज्यादा ध्यान दिया जिन्हें ट्विटर ने आतंकवादी प्रकृति का करार दिया था।साथ ही नए चरमपंथी उपयोक्ताओं की पहचान पहले ही कर लेने का तरीका विकसित किया। इससे यह भी पता लग सकेगा कि क्या एक ही शख्स एक से ज्यादा खाता चला जा रहा है।

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