प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला….
September 26, 2018
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यी खंडपीठ ने नागराज के फैसले को बड़ी बेंच को सौंपने से इनकार कर दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SC/ST को रिजर्वेशन देने के लिए आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है. कोर्ट के आज के फैसले के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रमोशन में आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जायेगा.
गौरतलब है कि इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कई प्रश्न खड़े किये थे. कोर्ट ने कहा कि यदि एक आदमी रिजर्व कैटिगरी से आता है और राज्य का सेक्रेटरी है, तो क्या ऐसे में क्या ये तार्किक होगा कि उसके परिजन को रिजर्वेशन के लिए बैकवर्ड मान लिया जाए. दरअसल, सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ इस बात का आकलन कर रही है कि क्या क्रीमी लेयर के सिद्धांत को एससी-एसटी के लिए लागू करना चाहिए, जो फिलहाल सिर्फ ओबीसी के लिए लागू है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रश्न भी खड़ा किया कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमी लेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थितियों में क्या किया जाना उचित होगा ? कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों को मदद देने के लिए है, जो कि सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और वो खुद में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में इस पहलू पर विचार करना अति आवश्यक है.
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते एसटी-एससी के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है. केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना उचित है या अनुचित इसपर कमेंट नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से समस्या झेलता रहा है. उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की आवश्यकता है.