लखनऊ, समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव ने अपनी सियासी राह चुन ली है. शिवपाल यादव समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा करते ही उसके विस्तार पर तेजी से लग गयें हैं.शिवपाल सिंह यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है.
शिवपाल सिंह यादव ने लोकसभा कि सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एेलान किया है.शिवपाल यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे पहले सूबे सियासत तक ही वे अपने आपको सीमित रख रहे थे, लेकिन अब वे राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक देने के लिए कदम आगे बढ़ाया है. शिवपाल ने कहा कि मैं पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं,
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सेक्युलर मोर्चे के तहत सपा में उपेक्षित नेताओं और अन्य छोटे दलों को जोड़ने का काम किया जाएगा. उ्न्होनें कहा जिस किसी का भी समाजवादी पार्टी में सम्मान नहीं हो रहा उन्हें हमारे साथ आना चाहिए. हम अपने साथ छोटी पार्टियों को भी जोड़ेंगे.
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शिवपाल के लिए एटा लोकसभा सीट काफी मुफीद मानी जा रही है. इस सीट पर यादव और ओबीसी मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. इसी का नतीजा है कि 1999 और 2004 में सपा इस सीट को जीतने में कामयाब रही थी. ऐसे में शिवपाल इस सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं.
शिवपाल ने अपना राजनीतिक सफर अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की उंगली पकड़कर आगे बढ़े हैं. उन्होंने पहला चुनाव जिला सहकारी बैंक का लड़ा. 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए.1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे. इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला. इसके बाद जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते. इसके बाद मुलायम सरकार से लेकर अखिलेश सरकार में मंत्री रहे. 2007 से 2012 तक विपक्ष के नेता का पद भी संभाला.