उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के सहायक महाप्रबंधक निलंबन को लेकर बैंक बोर्ड के सभापति और विधायक शिवपाल यादव सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा लंबे अर्से से आमने-सामने थे। एजीएम के खिलाफ शिकायतों को लेकर जहां बोर्ड सख्त था, वहीं विभागीय मंत्री ने एजीएम के बचाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा था। लंबी खींचतान के बाद बुधवार को सीएम योगी के निर्देश पर एजीएम को निलंबित कर दिया गया।
एलडीबी मुख्यालय के तत्कालीन एजीएम सुभाष चंद्र के खिलाफ सांसद कौशल किशोर और बिसवां के विधायक महेंद्र प्रताप सिंह सहित कई लोगों ने सीएम से शिकायत की थी। शिकायत में एजीएम पर भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति और अनियमितताओं के आरोप थे। सीएम के विशेष सचिव के आदेश पर एलडीबी मुख्यालय के सीजीएम आरबी गुप्ता ने मामले की जांच की थी।
16 मार्च 2018 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में एजीएम को फर्जी टूर बिल लगाने और सेवा नियमावली की अवहेलना का दोषी माना गया था। एलबीडी की प्रबंध कमिटी में यह मामला उठने पर बैंक बोर्ड के सभापति शिवपाल यादव ने एजीएम के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन, कोई ऐक्शन नहीं हुआ और एमडी ने एजीएम की मूल पत्रावली भी उन्हें मुहैया नहीं करवाई।
इसके बाद शिवपाल ने जुलाई में बैंक मुख्यालय का औचक निरीक्षण किया तो उन्हें पत्रावली की छाया प्रति दी गई। चार अगस्त को हुई बोर्ड बैठक में फिर यह मुद्दा जोर-शोर से उठना था, लेकिन बैठक से पहले ही एमडी ने एजीएम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी कर मामले को शांत कर दिया था।
कार्रवाई का दबाव बढ़ने पर 27 जून को सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने सीएम योगी को पत्र लिखकर एजीएम के बचाव की कोशिश की। उन्होंने अपने पत्र के साथ 26 जून 2018 को बीजेपी के तीन विधायकों करण सिंह पटेल, योगेश वर्मा और आशीष कुमार सिंह द्वारा उन्हें लिखे गए पत्रों को आधार बनाया। पत्रों में विधायक करण सिंह और आशीष कुमार सिंह ने जहां एजीएम को नजदीकी रिश्तेदार बताया, वहीं योगेश वर्मा ने परिचित।