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कोरोना त्रासदी के साथ सरकार ने गरीबों को दे दी पलायन त्रासदी- कांग्रेस

नयी दिल्ली,  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रवासी मज़दूरों का 21 दिन के लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में पैदल अपने घरों को पलायन करने को गंभीर स्थिति बताते हुए कहा है कि यह शर्मनाक है कि सरकार के पास इस संकट से निपटने की कोई योजना नही है।

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श्री गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया, “काम नहीं होने और अनिश्चित भविष्य के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग पैदल अपने घरों का रुख कर रहे है। यह शर्मनाक है कि हमारे नागरिक इस हाल में है और सरकार के पास इस संकट से निपटने की कोई योजना नही है।”

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उन्होंने इस हालत के सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा, “सरकार इस भयावह हालत की ज़िम्मेदार है। नागरिकों की ये दशा करना एक बहुत बड़ा अपराध है। आज संकट की घड़ी में हमारे भाइयों और बहनों को कम से कम सम्मान और सहारा तो मिलना ही चाहिए। सरकार जल्द से जल्द ठोस क़दम उठाए ताकि ये एक बड़ी त्रासदी ना बन जाए।”

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इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने पार्टी मुख्यालय में संवादाता सम्मेलन में कहा कि प्रवासी मजदूरो के पलायन से साफ हो गया है कि लोगों का इस सरकार पर भरोसा नही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले ज़रूरी तैयारी नहीं की थी।

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श्री माकन ने सरकार से तत्काल इन प्रवासी मजदूरों के खाते में 7,500 रुपए प्रति माह के हिसाब से जमा करने की मांग की और उम्मीद जताई कि इससे ज्यादातर मजदूर पलायन करने से शायद रुक जाएंगे। उन्होंने राज्य सरकारों से पर्याप्त मात्रा में राशन, चिकित्सा एवं खाना इन गरीबों के लिए उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि गरीब प्रवासी जो सड़कों पर बसर कर रहे हैं या दूसरे प्रदेशों में अटक गए हैं, उन्हें कैसे सुरक्षा पूर्वक बगैर किसी महामारी के प्रकोप कैसे उनके घर पहुंचाया जाय सरकार को इस संबंध में कोई रास्ता निकालना चाहिए।

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श्री माकन ने कहा कि लॉकडाउन से कोशिश ये की गई थी कि कोरोना की त्रासदी को रोका जा सके लेकिन ऐसा जान पड़ता है कि कोरोना जैसी मानव त्रासदी के साथ हमने एक और वैसी ही त्रासदी को ही पलायन त्रासदी के रुप में जन्म दे दिया है। गरीबों के लिए यह कोरोना त्रासदी से कम नहीं है। लोग, बच्चे, महिलाएं सड़कों पर हैं। उनके पास खाने का सामान नहीं है, चिकित्सा व्यवस्था नहीं है। इन सब स्थितियों को देखकर लगता है कि कहीं ये एक और मानव त्रासदी का रुप ना ले ले।

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