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कॉपीराइट फिल्म देखना नहीं खरीदना बेचना गुनाह है- हाई कोर्ट

bombay-high-court_मुम्बई,  सिर्फ किसी फिल्म की अवैध कॉपी को देखना गुनाह नहीं बल्कि कॉपीराइट वाली सामग्रियों का खरीदना बेचना गुनाह है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपनी एक अहम टिप्पणी में कहा है कि केवल किसी फिल्म की अवैध कॉपी को देखना कॉपीराइट ऐक्ट के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। जस्टिस गौतम पटेल ने कहा, देखना अपराध नहीं है, लेकिन कॉपीराइट वाली सामग्रियों का वितरण, सार्वजनिक प्रदर्शन या बिना अनुमति के बेचना या खरीदना अपराध है। उन्होंने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से किसी ब्लॉक किए हुए यूआरएल तक पहुंच की कोशिश के वक्त दिए जाने वाले एरर मेसेज में बदलाव करने को कहा है।

एरर मेसेज में ये पंक्ति दिखती है, फिल्म को देखना, डाउनलोड करना, प्रदर्शित करना या उसकी प्रति बनाना दंडनीय अपराध है। कोर्ट ने कहा कि मेसेज में पर्याप्त विवरण होने चाहिए और इन्हें और व्यापक बनाया जाना चाहिए। जस्टिस पटेल ने 30 अगस्त को ये टिप्पणी की। फिल्म ढिशुम के निर्माताओं की तरफ से ऑनलाइन पाइरेसी के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने हाल ही में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को कई यूआरएल को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से ब्लॉक की गई साइटों पर एक एरर मेसेज भी प्रदर्शित करने को कहा था ताकि जेन्युइन ई-कॉमर्स साइट्स प्रभावित न हों। हालांकि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने कहा है कि सॉफ्टवेयर लिमिटेशन की वजह से बड़े एरर मेसेज दिखाना कठिन है।

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