मेरठ, राजनीतिक दलों द्वारा किसानों को बेसहारा छोड़ देने से चीनी मिलें मनमानी पर उतर आई है। पिछले पेराई सत्र का तो बकाया गन्ना भुगतान करने में चीनी मिलें आनाकानी कर रही रही है, वर्तमान पेराई सत्र का बकाया भी पहाड़ की तरह चीनी मिलों पर बढ़ता जा रहा है। इस सबके बीच किसानों की हालत बिगड़ती जा रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के बाद भी कोई भी पार्टी प्रमुखता से किसानों की बदहाली का मुद्दा नहीं उठा रही।
कभी सिसौली का नाम आते ही पूरे देश की जुबां पर भाकियू नेता महेंद्र सिंह टिकैत का नाम आ जाता था। आज यही सिसौली अपनी चमक खो चुकी है। इसी कारण गन्ना किसानों की आवाज उठाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल या किसान संगठन आगे नहीं आ रहा। किसान नेता वीएम सिंह भले ही किसानों की लड़ाई को अदालतों में लड़ रहे हो, लेकिन धरातल पर उनकी मांग उठाने को कोई नेता आगे नहीं आ रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक वारिस होने का दम भरने वाले अजित सिंह आज खुद के सियासी वजूद को बचाने की जुगत में है। वह भी गन्ना किसानों के मुद्दे को आवाज नहीं दे पा रहे। उल्टा सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी खुलकर चीनी मिलों के पक्ष में आ चुकी है। इसका फायदा चीनी मिलों ने बखूबी उठाया है और वर्तमान पेराई सत्र का भी मोटा पैसा दबाकर बैठ गई है। 48215 लाख रुपए दबाया पिछले पेराई सत्र का तो चीनी मिलों पर बकाया चल ही रहा है, वर्तमान पेराई सत्र में भी चीनी मिलों ने ताबड़तोड़ गन्ने की खरीद करके किसानों का मोटा पैसा दबा लिया है।
गन्ना विभाग की तीन दिसंबर 2016 तक की रिपोर्ट के अनुसार मेरठ परिक्षेत्र की चीनी मिलों ने 202.04 लाख कुंतल गन्ना अभी तक किसानों से खरीदा है। इस गन्ने की कुल कीमत 61508.87 लाख रुपए में से 15 चीनी मिलों ने किसानों को केवल 13293.85 लाख रुपए का ही भुगतान किया है। अभी भी चीनी मिलों पर 48215.02 लाख रुपए का बकाया है और प्रत्येक दिन यह बकाया रकम बढ़ती जा रही है। गन्ना अधिकारी भुगतान कराने के लंबे-चौड़े दावे करते आ रहे हैं, लेकिन चीनी मिलों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। नोटबंदी में गुम हुआ गन्ना मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी किए जाने के शोर में किसानों की अर्थव्यवस्था से जुड़ा गन्ने का मुद्दा भी हवा हो गया है। प्रदेश में भाजपा, बसपा, रालोद, कांग्रेस, सपा कोई भी दल इस मुद्दे को नहीं उठा रहा। रस्म अदायगी के तौर पर ही भाजपा और रालोद नेता यदा-कदा इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी आंदोलन छेड़ने से परहेज किया जा रहा है। मेरठ परिक्षेत्र के उप गन्ना आयुक्त हरपाल सिंह का कहना है कि चीनी मिलों से पिछले पेराई सत्र का बकाया वसूलने के साथ-साथ वर्तमान पेराई सत्र का भुगतान भी कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। भुगतान नहीं करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।