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तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा 69 प्रतिशत, तो बाकी राज्यों में क्यों नहीं- नीतीश कुमार

nitish-kumarपटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को  ‘वीरमणि सामाजिक न्याय सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इस मौके पर निजी क्षेत्र में आरक्षण की वकालत करते हुए नीतीश ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण जरूरी है। नीतीश को यह पुरस्कार सामाजिक मुद्दों को लेकर संघर्ष करने और समाज के वंचित वर्गों के न्यायपूर्ण विकास सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है।

वीरमणि सम्मान ‘पेरियार इंटरनेशनल संस्था’ की तरफ से सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले लोगों को दिया जाता है। नीतीश को संस्था के डॉ. के वीरमणि ने सम्मानित किया। पुरस्कार पाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा, इस अवार्ड से मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। देश के सामने कोई ज्वलंत समस्या हो तो मैं चुप नहीं रह सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर अनूसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या बढ़ेगी तो उनके आरक्षण की सीमा भी बढऩी चाहिए। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा 69 प्रतिशत हो सकती है तो देश के बाकी राज्य में क्यों नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति चाहिए।

उन्होंने कहा, मंडल कमीशन के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है जिसे हमलोग मानते हैं, लेकिन आरक्षण का दायरा बढऩा चाहिए। इस पर चर्चा करने का वक्त आ गया है। समाजवादी नेता ने कहा, मैं मानता हूं कि मुस्लिमों, ईसाइयों को भी आरक्षण मिलना चाहिए, क्योंकि दलितों की तरह वे भी उसी तरह उपेक्षा और पिछड़ेपन के शिकार हैं। मेरा मानना है कि संविधान में संशोधन कर आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाया जाना चाहिए।

बिहार विधान परिषद के सभागार में आयोजित इस सम्मान समारोह में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी व विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह सहित कई नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। नीतीश से पहले यह पुरस्कार पूर्व प्रधानमंत्री वी$ पी$ सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केशरी और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को दिया जा चुका है।

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