दयानिधि मारन से जुड़े एयरसेल मैक्सिस मामले में हस्तक्षेप करने को हाईकोर्ट अनिच्छुक
August 26, 2016
नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय पूर्व केन्द्रीय मंत्री दयानिधि मारन से जुड़े एयरसेल-मैक्सिस मामले में हस्तक्षेप करने में अनिच्छुक प्रतीत हुआ और उसने कहा कि यह मामला एक योग्य अदालत में विचाराधीन है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता धींगडा सहगल की एक पीठ ने यह विचार उस जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए व्यक्त किया जिसमें अदालत से आग्रह किया गया था कि वह सीबीआई को मैक्सिस और उसकी सहयोगी कंपनियों के पास मौजूद एयरसेल लिमिटेड के शेयर और सभी आस्तियां जब्त करने के लिए निचली अदालत में जाने को कहें। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सोसाइटी फार कन्ज्यूमर्स ऐंड इन्वेस्टर्स प्रोटेक्शन की ओर से पेश वकील अमित खेमका ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करने जा रहा है तो उन्हें निचली अदालत के पास जाने की छूट दी जाए जिसे उन्हें सुनने का निर्देश दिया जाए। बहरहाल, पीठ ने कहा कि वह ऐसा कुछ नहीं कहेगी। पीठ ने खेमका से कहा कि वह कानून के तहत उचित उपाय करे। अदालत ने कहा, मामला विचाराधीन है। योग्य अदालत इसपर सुनवाई कर रही है। जब यह विचाराधीन है तो हम मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसपर खेमका ने कहा कि निचली अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी। उन्होंने यह भी दलील दी कि मामले के कुछ आरोपियों के खिलाफ कदम नहीं उठा कर सीबीआई कानून का क्रियान्वयन नहीं कर रही है। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार करेगी और आदेश पारित करेगी। अदालत ने कहा, आदेश सुरक्षित। याचिकाकर्ता सोसाइटी ने अदालत से कहा कि वह सीबीआई को निर्देश दे कि वह मैक्सिस कम्युनिकेशन्स की अनेक आनुषांगिक कंपनियों को एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोपी बनाए।