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प्रेम जाल में फंस कर रक्षा सौदों को लीक करने को वरूण गांधी ने नकारा

varun-gandhiनई दिल्ली,  भाजपा नेता वरूण गांधी इस आरोप के बाद विवादों में घिरे नजर आए कि उन्होंने प्रेम जाल में फंसाए जाने  के बाद बिचौलिए अभिषेक वर्मा को रक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेज मुहैया कराए थे। वहीं वरूण गांधी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि वह 2004 से वर्मा से नहीं मिले हैं। स्वराज अभियान के नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने  यहां एक संवाददाता सम्मेलन में न्यूयार्क स्थित वकील एडमंड्स एलेन का एक पत्र जारी किया जो पिछले महीने पीएमओ को लिखा गया था। पत्र में दावा किया गया है कि वर्मा द्वारा वरूण को प्रेम जाल में फंसाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्मा ने हथियार मामलों से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचना साझा करने के लिए वरूण को ब्लैकमेल किया। वरूण रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य थे।

वरूण ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह 2004 से वर्मा से नहीं मिले हैं और उन्होंने आरोपों को लेकर भूषण तथा यादव के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी। वरूण ने कहा कि पेश की गयी पूरी सूचना में तनिक भी सबूत नहीं है कि संवेदनशील सूचना के संबंध में वर्मा से उनका कोई संवाद हुआ या उस सूचना तक उनकी पहुंच थी। वर्मा के सहयोगी रहे एलेन 2012 में अलग हो गए। वर्मा 2006 के नौसेना युद्ध कक्ष लीक मामले में आरोपी हैं। भूषण ने आरोप लगाया कि पूरा ब्यौरा होने के बाद भी भाजपा सरकार ने थेल्स कंपनी को काली सूची में नहीं डाला जिसने घोटाले से घिरी स्कोर्पिन पनडुब्बियां बेची थी और दसाल्ट ने खरीद की थी। भारत ने हाल ही में 36 राफेल विमान के लिए दसाल्ट के साथ एक सौदा किया है।

भूषण ने कहा कि थेल्स के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से राफेल सौदा खटाई में पड़ सकता था। उन्होंने कहा कि 126 विमान खरीदने की विगत की घोषणाओं के उलट सरकार ने 36 विमान खरीदे और हर इकाई के लिए दोगुने पैसे का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ गड़बड़ी प्रतीत होती है। भूषण और यादव ने संवाददाता सम्मेलन में वरूण का नाम नहीं लिया और पत्रकारों से पत्र का जिक्र करने को कहा। एलेन ने प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री सीबीआई ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सभी ब्यौरों के साथ अगस्त और सिंतबर में पत्र लिखा था। वरूण ने कहा कि वह वर्मा से जब मिले थे जब वह 22 साल के थे और लंदन में स्नातकोत्तर के छात्र थे। उन्होंने कहा मैं अब 37 साल का होने वाला हूं। 2004 में सार्वजनिक जीवन में आने के बाद मैंने कभी उनसे मुलाकात नहीं की। मैं उन्हें जानता था इसका एकमात्र कारण उनके अभिभावक सांसद थे और एक प्रतिष्ठित परिवार था। मैं उन्हें वैसे ही जानता था जैसे कई अन्य नेता उन्हें जानते थे। रक्षा सलाहकार समिति के दौरान किसी संवेदनशील दस्तावेज को देखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कोई सांसद जो समिति के सदस्य रहे हैं जानते हैं कि किसी गोपनीय दस्तावेज की 0.1 प्रतिशत सूचना भी समिति के साथ साझा नहीं की जाती।

 

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