सूत्रों के अनुसार, मायावती घोषित स्थानीय प्रत्याशियों के अलावा पार्टी के पदाधिकारियों का भविष्य भी रैली में ही तय करेंगी. वहीं प्रदेश में बीएसपी प्रमुख पहली रैली के जरिए दलित वोटों में कोई बिखराव न होने का संदेश भी देंगी.वह रैली में अपने समाज के वोट को साधने का प्रयास करेंगी. स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी जैसे दिग्गजों की बगावत और दयाशंकर प्रकरण पर चौतरफा घेराबंदी के बाद से बैकफुट पर आई बीएसपी प्रमुख मायावती ने भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखाने की रणनीति बनाई है.