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भोपाल गैस काण्ड मे ३२ साल बाद तत्कालीन कलेक्टर और एस पी के खिलाफ केस दर्ज

bhopal-gas-disasterभोपाल, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन को भगाने मे मदद करने के आरोप मे तत्कालीन कलेक्टर और एस पी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सीजेएम भूभास्कर यादव ने गैस पीड़ित संगठनों की सुनवाई के बाद यह आदेश दिए।
गैस त्रासदी के 32 साल पुराने मामले में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन के भागने में मददगार बने  कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। दोनों के खिलाफ सेक्शन 212, 217 और 221 के तहत केस दर्ज किया गया है और कोर्ट में हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किए हैं।
सीजेएम भूभास्कर यादव ने अपनी टिप्पणी मे कहा है कि जहरीली गैस से हजारों लोग मर रहे थे। तत्कालीन कलेक्टर और एस पी जनता को बचाने के बजाय एक अपराधी को भगाने में लगे थे। सीजेएम ने ऑर्डर में लिखा कि मोती सिंह की बुक से पता चलता है कि एंडरसन को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। उसके बाद उसे स्पेशल प्लेन मुहैया कराकर भागने में मदद की, जबकि उसे कोर्ट की परमिशन के बगैर जमानत पर छोड़े जाने की इजाजत नहीं थी। इन दोनों ने योजना बनाकर एंडरसन को भागने में मदद की है। इसलिये मोती सिंह और स्वराज पुरी पर मामला दर्ज करने के पर्याप्त आधार हैं।
गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार और वकील शाहनवाज खान ने 20 जून 2010 को केस दायर किया था।और बताया था कि मोतीसिंह और स्वराज पुरी ने एंडरसन की मदद की थी। संगठन ने दावा किया कि गैस कांड मामले में आए फैसले के बाद मीडिया से उन्हेें इस बारे में पता चला। केस की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
 गैस त्रासदी के 32 साल पुराने मामले में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन के भागने में मददगार बने तब के कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सीजेएम भूभास्कर यादव ने शनिवार को गैस पीड़ित संगठनों की सुनवाई के बाद यह ऑर्डर दिए। दोनों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए नोटिस, अफसरों पर जो धाराएं उन पर 7 साल तक की सजा…
– दोनों के खिलाफ सेक्शन 212, 217 और 221 के तहत केस दर्ज किया है। दोनों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
– बता दें कि गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार और वकील शाहनवाज खान ने 20 जून 2010 को केस दायर किया था।
– इसमें बताया गया था कि मोतीसिंह और स्वराज पुरी ने एंडरसन की मदद की थी। संगठन ने दावा किया कि गैस कांड मामले में आए फैसले के बाद मीडिया से उन्हेें इस बारे में पता चला।
ऑर्डर देते हुए सीजेएम का कमेंट
– “जहरीली गैस से हजारों लोग मर रहे थे। कलेक्टर-एसपी जनता को बचाने के बजाय एक अपराधी को भगाने में लगे थे।”
– “इन्होंने योजना बनाकर एंडरसन को भागने में मदद की। मोती सिंह और स्वराज पुरी पर मामला दर्ज करने के पर्याप्त आधार हैं।”
एंडरसन को भोपाल से सुरक्षित भगाने में अफसरों की भूमिका शुरू से सवालों के घेरे में रही
– सीजेएम ने ऑर्डर में लिखा कि मोती सिंह की बुक से पता चलता है कि एंडरसन को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था।
– उसके बाद उसे स्पेशल प्लेन मुहैया कराकर भागने में मदद की, जबकि उसे कोर्ट की परमिशन के बगैर जमानत पर छोड़े जाने की इजाजत नहीं थी।
– उधर, पुरी इन दिनों मध्य प्रदेश के प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेग्युलेटरी कमीशन के मेंबर हैं।
– भास्कर के साथ बातचीत में पुरी ने कहा, “मेरे खिलाफ कोर्ट ने कोई ऑर्डर दिया हैं, इसकी जानकारी नहीं है। मैं इस वक्त भोपाल से बाहर हूं।”
अफसरों पर जो धाराएं उन पर 7 साल तक की सजा
– सेक्शन 212 :अपराध करने वाले व्यक्ति को सजा से बचाने के लिए भागने या छिपने में मदद करना। दोषी पाए जाने पर इसके जिम्मेदार काे पांच साल तक की सजा।
– सेक्शन 217 :अपराधी को बचाने के लिए कानून के निर्देशों की अवहेलना करने वाले अफसरों को दोषी पाए जाने पर दो साल तक सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
– सेक्शन 221 :अपराधी को भागने में मदद करने वाले शासकीय अफसरों को दोषी पाए जाने पर सात साल तक की सजा सुनाई जा सकती है।
(जैसा कि एडवोकेट संदीप गुप्ता ने बताया)
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Web Title: एंडरसन को भगाने वाले अफसरों पर 32 साल बाद केस

 

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