Breaking News

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद देश की पहली ट्रांसजेंडर सब-इंस्पेक्टर बनी पृथिका यशिनी

नई दिल्ली,  देश और दुनिया में ट्रांसजेंडर को दिए जाने वाले अधिकारों को लेकर जहां अलग-अलग तरह की बहस जारी है। इस मुद्दे पर हमारे देश में अलग-अलग राय रखने वाले लोग हैं। लेकिन समय-समय पर देश के कानून द्वारा प्रत्येक नागरिक को दिए जाने वाले अधिकारों से किसी भी वंचित नही रखने को लेकर अदालतों का दरवाजा खटखटाने के बाद ही कहीं बराबरी मिल पाती है। आज हम आपको समाज द्वारा खिंची गैरबराबरी की लकीर पर कानून का सहारा लेकर अपने जंग जीतने वाली प्रथिका की कहनी बताएंगे।

पृथिका यशिनी हमारे देश में पहली महिला ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर नियुक्ति की गई है। शुक्रवार 31 मार्च को तमिलनाडु पुलिस अकादमी से ट्रेनिंग पूरी करने वाली 26 साल की पृथिका यशिनी ने सब-इंस्पेक्टर बन कर इतिहास रच दिया है। रविवार को पृथिका याशिनी ने राज्य के धर्मापुरी जिले में सब-इंस्पेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला, कार्यभार संभालते ही पृथिका भारत की पहली ट्रांसजेन्डर सब-इंस्पेक्टर बनी है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग पूरी करने पर मैं बहुत खुश हूं, ट्रेनिंग के दौरान सब कुछ बहुत अच्छा रहा। हर कोई मेरे प्रति काफी कॉपरेटिव और अंडरस्टैंडिग रहा। पृथिका ने बताया कि उसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के खिलाफ लड़ना है। पृथिका ने कहा कि उसका अगला सपना आईपीएस अफसर बनने का है, जिसके लिए यूपीएससी की तैयारी करनी होगी और फ्री टाइम में वो इसके लिए भी समय निकालेगी। पृथिका का जन्म सेलम जिले में प्रदीप कुमार के रूप में हुआ था।पृथिका के पिता कैब चालक थे और मां कपड़े सिला करती थी। जब पृथिका ने अपने पिता को लिंग परिवर्तन करवाने के बारे में बताया तो वो स्तब्ध रह गए। पृथिका को रोकने के लिए उसके घरवालों ने दवाओं से लेकर, पूजा-पाठ और ज्योतिष तक सारे यत्न किए। इसके बाद पृथिका ने चेन्नई का रुख किया और वहां के ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा उसे अपनाया और प्रदीप के पृथिका बनने में मदद की। यहां पृथिका ने महिला हॉस्टल में वार्डन के रूप में भी काम किया। कंप्यूटर में अंडरग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने यौन परिवर्तन सर्जरी करा प्रदीप से पृथिका बन गई।

सब इंस्पेक्टर बनने के पृथिका के आवेदन को पुलिस भर्ती बोर्ड ने खारिज कर दिया था। क्योंकि उनका नाम और ओरिजिनल सर्टिफिकेट्स मेल नहीं खाते थे। साथ ही भर्ती के फॉर्म में थर्ड जेंडर की कैटेगिरी नहीं थी। ट्रांसजेंडर्स के लिए कोटा, कंसेशनल कट ऑफ, फिजिकल परीक्षा या इंटरव्यू की व्यवस्था भी नहीं थी। पृथिका ने कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की। उन्होंने सभी फिजिकल एग्जाम भी पास किए। सिर्फ 100 मीटर की दौड़ में वे 1.1 सेकंड से पिछड़ गईं। कोर्ट ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि फिजिकल टेस्ट में 1.1 सेकंड में हुई देरी पृथिका के सब-इंस्पेक्टर बनने की राह में रोड़ा बनेगा। कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में नियुक्ति का आदेश दिया गया था। पृथिका के संघर्ष से ट्रांसजेंडरों को मिली आगे बढ़ने की प्ररेणा:- समाज और प्रशासन से हिकारत झेलने के बाद भी पृथिका ने हार नहीं मानी और अपनी नियुक्ति के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। कोर्ट से जीतने, पुलिस में सिलैक्शन होने और सफल ट्रैनिंग के बाद पृथिका अब एक सब-इंस्पेक्टर हैं। सब-इंसपेक्टर बनने के बाद पृथिका का कहना है कि वह इस कामयाबी से अपने जैसे दूसरे लोगों के लिए प्रेरना बनना चाहती है। जो थर्ड जेंडर होने के कारण जिंदगी में परेशानियों से जूझ रहे हैं। मद्रास कोर्ट के इस फैसले के बाद इन लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और इनका परिवार भी इन्हें अपना लेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *