नई दिल्ली,बचपन में हमने चांद को लेकर कई कहानियां सुनी हैं लेकिन शायद अब चांद की खूबसूरती मुरझाने लगी है. चांद का आकार पहले के मुकाबले कम हो रहा है यानी यह अब लगातार सिकुड़ता जा रहा है.
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नासा ने करीब 12 हजार तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद खुलासा किया है कि पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा अपनी अंदरूनी सतह ठंडी होने से लगातार सिकुड़ता जा रहा है. इससे उसकी सतह पर किसी इंसानी चेहरे की तरह झुर्रियां पड़ती जा रही हैं. पिछले करोड़ों वर्षों में पृथ्वी का यह उपग्रह 150 फुट (50 मीटर) तक सिकुड़ चुका है.
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इसकी वजह से अब वहां भूकंप आ रहे हैं. इनमें से कुछ की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर पांच तक आंकी गयी है. नासा ने अपने लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) से ली गयी तस्वीरों के अध्ययन के बाद यह जानकारी सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में दी है. 12,000 से अधिक तस्वीरों के विश्लेषण के बाद नासा ने पाया कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास चंद्र बेसिन ‘मारे फ्रिगोरिस’ में दरार बन रही है, जो अपनी जगह से खिसक भी रही है. बता दें, चंद्रमा के कई विशाल बेसिनों में से एक मारे फ्रिगोरिस को भूवैज्ञानिक नजरिये से मृत स्थल माना जाता है.