इलाहाबाद , प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि एक संस्था के तौर पर न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है जो उसके खुद के अंदर से एक चुनौती है। उन्होंने न्यायाधीशों से अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहने को कहा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना वर्ष पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस अदालत ने मुश्किल वक्त देखे हैं। इस अदालत ने मुश्किल चुनौतियों का भी सामना किया है लेकिन न्यायाधीश उस वक्त आगे बढ़े हैं। उन्होंने बेखौफ होकर अपने कर्तव्य भी निभाए हैं लेकिन हम सिर्फ अतीत की उपलब्धियों पर मुग्ध नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हमारे समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं और हमें उन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होने की जरूरत है। न्यायपालिका एक संस्था है, जैसा कि हम बखूबी जानते हैं, यह हमेशा ही लोक निगरानी में रही है और चुनौतियां न सिर्फ अंदर से है बल्कि बाहर से भी हैं। बाहरी चुनौतियां हमें परेशान नहीं करती। हम उनका बखूबी सामना करते हैं लेकिन हमें गौर करना होगा और हमें जिस चीज के बारे में सचेत होने की जरूरत है वह हमारे ही बीच से पेश आने वाली चुनौतियां हैं।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘और जब मैं अंदर से आने वाली चुनौतियों की बात करता हूं तब मैं विश्वसनीयता के संकट का जिक्र कर रहा होता हूं जिसका आज हम देश में सामना कर रहे हैं। अपने कर्तव्यों के निर्वहन, समयपालन, न्यायिक प्रतिफल में न्यायाधीशों को सचेत रहने की जरूरत है।’’
काफी संख्या में मामलों के लंबित होने पर चिंता जताए जाने पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि न्यायाधीशों के अतिरिक्त घंटे बैठने के तैयार होने पर भी मामलों के निपटारे में ‘बार’ बहुत सहयोगी नहीं रहा है।
उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 10 लाख मामले लंबित होने का जिक्र करते हुए कहा, ‘यदि आपके पास अच्छे न्यायाधीश हैं तो यह सिर्फ बार के चलते है, वक्त के साथ हमने देखा है कि बार मामलों के निपटारे में बहुत सहयोगी नहीं रहा है।’ न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि जेल में कैद लोगों के मामले प्राथमिकता के तौर पर लिए जा सकते हैं और निपटाए जा सकते हैं लेकिन यह बार के सहयोग के बगैर संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि वह वकीलों को भरोसा दिला सकते हैं कि यदि बार सहयोग करता है तो न्यायाधीश पुराने मामलों के निपटारे के लिए यहां तक कि शनिवार को भी बैठने के लिए तैयार होंगे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके लिए यह बहुत गर्व की बात है कि पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, तेज बहादुर सप्रू, कैलाश नाथ काटजू उनके गृह राज्य जम्मू कश्मीर से थे।