विश्व हिन्दी सम्मेलन संपन्न, हिन्दी के प्रसार के लिए की गईं ये अनुशंसाएं
August 20, 2018
मॉरीशस, हिन्दी को विश्व की अग्रणी भाषाओं में उचित सम्मान दिलाने और संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक भाषा के तौर पर स्थापित कराने के संकल्प के साथ 11वां हिन्दी विश्व सम्मेलन संपन्न हो गया।इस अवसर पर आज पोर्ट लुई में मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परमशिवम पिल्लई व्यापुरी ने कहा है कि हिन्दी विश्व शांति को सुदृढ़ बनाएगी।
लगभग दो हजार हिन्दी विद्वानों के बीच स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में तीन दिनों तक चले मंथन में हिन्दी के अब तक के विश्वव्यापी सफर पर संतोष व्यक्त किया गया और उसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए सामूहिक प्रयास निरंतर जारी रखने का संकल्प लिया गया। सम्मेलन के दौरान हिन्दी के प्रसार के लिए कई अनुशंसाएं की गयी।भारत के विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि विश्व के अनेक भागों में हिन्दी बहुत लोकप्रिय है और वह चुपचाप आगे बढ़ रही है।
तकनीक के माध्यम से हिंदी के विकास को लेकर कई सुझाव आए जिसमें हिंदी से जुड़े सॉफ्टवेयर को लांच करने और इसके लिए टेक कंपनियों से बातचीत करने की अनुशंसा की गई। साथ ही हिंदी शब्दों के विस्तार के लिए सॉफ्टवेयर की मदद से 10 हज़ार शब्दों का ऑनलाइन शब्दकोष बनाने की अनुशंसा भी की गयी। हिंदी में तकनीक को बढ़ाने के उद्देश्य से शोध के लिए अधिक फंड देने की अनुशंसा की गई।
अमेरिका में भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए किये गये प्रयासों के अनुरूप दूसरे देशों में भी ऐसा करने की आवश्यकता पर सम्मेलन में बल दिया गया। भारतीय भाषा के लिए एक मापदंड बनाने पर भी सहमति बनी। भाषा को संस्कृति से जोड़ने के लिए सभी देशों में रामायण और रामचरित मानस के पाठन को बढ़ावा देने की सिफारिश की गयी। प्रवासी भारतीयों के बीच भाषा के विकास के लिए युवाओं से अधिक से अधिक संवाद करने के लिए बहुआयामी प्लेटफार्म बनाने का भी सुझाव दिया गया।
विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी सहित भारत और मॉरीशस के अनेक मंत्री समापन सत्र में मौजूद थे।