आम सिर दर्द और माइग्रेन में क्या है अंतर, आइए जानें

आम बोलचाल की भाषा में इसे आधे सिर का दर्द, अधकपारी तथा आधासीसी का दर्द भी कहते हैं। यह दर्द कभी भी सिर उठा लेता है और तीन−चार घंटे से लेकर तीन−चार दिनों तक भी बना रह सकता है। इस दौरान रोगी को असहनीय पीड़ा होती है। उसे लगता है मानो उसके आधे सिर में हथौड़ों की चोट पड़ रही है। उसकी आंखों के आगे अंधेरा भी छाने लगता है। आम सिर दर्द और माइग्रेन में अंतर यही है कि आम सिर दर्द में पूरे सिर में दर्द होता है जबकि माइग्रेन में दर्द, सिर के केवल एक तरफ  होता है। आमतौर पर महिलाएं इसका शिकार ज्यादा होती हैं परन्तु पुरुषों को भी यह रोग हो सकता है। मौटे तौर पर माइग्रेन दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार का माइग्रेन, माइग्रेन विद औरा कहलाता है। इस प्रकार के माइग्रेन में सिरदर्द शुरू होने से पहले ही पता चला जाता है। इस प्रकार के माइग्रेन से पहले रोगी की आंखों के सामने सितारे फैलते हुए तथा काले धब्बे दिखाई देते हैं।

दर्द शुरू होने के बाद सिर के कुछ हिस्सों में पल्सेटाइल दर्द शुरू हो जाता है। इस दौरान रोगी के लिए कोई भी काम करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ज्यादातर रोगी लेटना शुरू पसन्द करते हैं। रोगी को सिर दर्द के साथ−साथ उल्टियां भी हो सकती हैं। यह सिर दर्द एक भाग से दूसरे भाग में भी जा सकता है और पूरे सिर में भी फैल सकता है। दूसरे प्रकार के माइग्रेन में सिरदर्द अचानक हावी हो जाता है इसे माइग्रेन विदाउट औरा कहते हैं। इस प्रकार के माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति सुबह उठते ही सिर के दोनों भागों में दर्द महसूस करने लगता है। इस प्रकार के माइग्रेन में उल्टियां कम होती हैं। इसके अतिरिक्त कई किस्म के माइग्रेन भी हो सकते हैं जैसे बैसिलर आर्टेरी माइग्रेन जिसमें रोगी दिमाग के पिछले हिस्से में दर्द महसूस करता है। उसकी आंखों में ज्यादा चमक होती है। उसके शारीरिक व्यवहारों में बदलाव आने लगता है। इस प्रकार के माइग्रेन से पीडि़त व्यक्ति तुतलाने के साथ बेहोश भी हो सकता है।

आप्थेमलिक माइग्रेन, माइग्रेन का एक अन्य प्रकार है। इस प्रकार के माइग्रेन का रोगी बार−बार पलकें गिराता है उसे एक वस्तु दो दिखाई देती है। एक अन्य प्रकार के माइग्रेन हीमोप्लीजिक में माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति लकवे का शिकार भी हो सकता है। माइग्रेन दिमागी नसों के सिकुड़न तथा फैलाव के कारण होता है। कई बार यह अन्य बीमारियों जैसे सखाइकल अर्थराइटिस, ग्लूकोमा, आईस्ट्रोन, प्री मैसूट्रएल सिंड्रोम का लक्षण भी हो सकता है। माइग्रेन में दर्द दिमाग के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकता है। सभी आयुवर्ग के व्यक्ति इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं, हालांकि आयु बढ़ने के साथ−साथ इसके लक्षणों में कमी आती जाती है। अभी लोगों में माइग्रेन अटैक के कारण तथा अटैक की आवृत्ति अलग−अलग होती है। कुछ लोगों को चॉकलेट, खट्टे फल, अंडा−मीट, तली−भुनी चीजें, अचार आदि खाने से माइग्रेन का अटैक पड़ जाता है। कुछ लोगों को प्रदूषण, पेट्रोल की गंध, धुएं तथा वाहनों की तेज आवाज से भी माइग्रेन का अटैक आ जाता है। कुछ मामलों में वंशानुगत माइग्रेन भी हो सकता है।

माइग्रेन अटैक की आवृत्ति के आधार पर डॉक्टर रोगी का इलाज करता है। रोगी पर सिरदर्द हावी होने से पहले प्रोफेलिक्टिक दवाइयां दी जाती हैं। सिरदर्द हावी होने के बाद डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवाएं ले सकते हैं। इससे रोगी को तुरंत आराम मिलता है। माइग्रेन से निजात पाने के लिए रोगी को डॉक्टर की देखरेख में छह महीने से साल भर दवाइयों को सेवन करना पड़ता है। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को कुछ परहेज भी करना पड़ सकता है जिससे वह अटैक की स्थितयिों से बच सके। माइग्रेन से पीडि़त व्यक्ति को ठंडी चीजें, चाकलेट, नट, ड्राइफ्रूट, केला, टमाटर, पनीर, मक्खन आदि के सेवन से बचना चाहिए। सूर्य की तेजी किरणों के सीधे सम्पर्क से बचना भी जरूरी है साथ ही रोगी कभी खाली पेट न रहे। सबसे महत्वपूर्ण है माइग्रेन के अटैक के दौरान रोगी को शारीरिक और मानसिक आराम दें।