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आलू की कीमतों में उछाल से किसान गदगद

इटावा,  सब्जियों के राजा कहे जाने वाले आलू के दाम में खासा उछाल आने से उत्तर प्रदेश के किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी है।
इटावा समेत राज्य के अधिसंख्य जिलों में पिछले एक सप्ताह के दौरान आलू के खुदरा दाम 10 से बढ़कर 16 रुपये प्रति किलो हो गये हैं।

किसानों का कहना है कि ऐसे ही कीमतें रहीं, तो बीते वर्ष हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी। बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष इटावा में दो हजार हेक्टेयर आलू का रकबा कम है।

आलू कारोबारी अतुलेश कुमार का कहना है कि मंडी में जैसे-जैसे आलू के दाम बढ़ रहे हैं, किसान भी मुस्कुरा रहे हैं। बीते वर्ष भाव न मिलने से आलू किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। इस वर्ष किसानों को बाजार में फसल का बेहतर दाम मिल रहा है। कुछ किसान भाव अच्छा देखकर आलू की बिक्री कर रहे हैं तो कुछ किसान आगे भाव अच्छा मिलने की उम्मीद में उपज को शीतगृहों में भंडारित कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इटावा जिले में 15 से 20 फीसदी आलू की खुदाई हो चुकी है। मंडी में आलू की कीमतें 500 से 700 रुपये प्रति बोरी है जबकि बीते वर्ष इन दिनों आलू की कीमतें 200 से 300 रुपये प्रति बोरी थी। इससे किसानों को काफी नुकसान हो गया था।

ऊसराहार वासी आलू किसान संजीव कौशल ने बताया कि आलू की कीमतें अच्छी हैं। हालांकि पैदावार में कुछ कमी आई है। इस बार पैदावार कम होने के कारण ही उपज की कीमत मंडी में अच्छी मिल रही है।

बछरोई वासी आलू किसान पुष्पेंद्र तिवारी का कहना है कि इस बार शुरुआती दौर में अच्छी कीमतों ने किसानों को खुश कर दिया है। आगामी दिनों में कीमतें क्या रहेंगी, इसका पता नहीं, लेकिन अभी भाव बेहतर हैं।

जिला कृषि अधिकारी कुलदीप राणा ओर से प्रद्दत कराए गए विभागीय आंकड़ों के अनुसार, इस बार 19 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुआई की गई थी। फरवरी माह के शुरुआत से आलू की खुदाई शुरू हो गई। बीते वर्ष आलू की पैदावार 50 से 60 पैकेट प्रति बीघा था जो इस बार घटकर 35 से 45 पैकेट रह गया है। अच्छे दाम मिलने के कारण किसान खुश नजर आ रहे हैं।

आलू की पैदावार में इटावा बीते कई सालों से अग्रणी भूमिका निभा रहा है । इटावा के साथ फर्रुखाबाद, कन्नौज, औरैया, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आगरा व एटा को आलू की बेल्ट कहा जाता है। इटावा केआलू उत्पादक किसान आलू की अगैती और पिछैती दो फसलें लेते हैं। इससे आलू की खपत कम है जबकि उत्पादन ज्यादा है।

चार-पांच साल पूर्व यहां के आलू की महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल तक मांग थी। कृषि मंडी से रोजाना 50 से 60 ट्रक आलू इन प्रांतों में भेजा जाता है।इससे आलू उत्पादक और व्यापारी अपनी आजीविका बेहतर ढंग से चला रहे हैं। बीते पांच सालों से इन प्रांतों में आलू का उत्पादन होने से यहां के आलू की डिमांड कम होने से हर साल शीतगृहों से आलू को फेंकना पडा। इटावा में करीब एक तिहाई आलू उत्पादक किसान चिपसौना और सूर्या प्रजाति के आलू का उत्पादन करने लगे हैं।

इटावा के कई आलू उत्पादक जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कई जगह जैविक खेती के माध्यम शुगर फ्री प्रजाति के आलू का उत्पादन किया जा रहा है। इस प्रजाति और जैविक खेती से उत्पादित आलू की मांग बढ़ने लगी है। इटावा मे कुल 54 कोल्ड स्टोरेज है जिनमे छह लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण की क्षमता है।