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गुर्दे की गंभीर बीमारी से बचना है तो करें ये काम….

सहारनपुर, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या के साथ योगासन से गुर्दे की गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। योग गुरू गुलशन कुमार ने सोमवार को बताया कि मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंग गुर्दे की अनदेखी कई बार जानलेवा साबित हो सकती है।

मांसपेशियों में ऐंठन, झागदार पेशाब आना, टखनो मे सूजन, आँखों के आसपास सूजन, गुर्दे में पथरी, बुखार रहना, त्वचा में रूखापन जैसे लक्षण गुर्दे की बीमारी पास आने का संकेत देते हैं। इन लक्षणों में चिकित्सक अक्सर गुर्दे की जांच कराने की सलाह देते हैं। गुर्दे में समस्या आने पर आहार परिवर्तन के साथ योग पद्धति के बताये आसनो को करके गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।

उन्होने बताया कि पेशाब की मात्रा का कम‌ या अधिक होना, रात्रि को सोते समय पेशाब बार बार जाना, प्रोस्टेट ग्रंथि के संक्रमण या वृद्धि के कारण भी यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं । पेशाब में झाग आने लगे तो यह प्रोटीन निकलने का लक्षण हो सकता है। अचानक हीमोग्लोबिन कम होने लगे जिससे एनीमिया के लक्षण दिखाई दे तो यह गुर्दे खराबी का लक्षण हो सकता‌ है। गर्मी के दिनों ठंड लगने लगे या दिन में नींद ज्यादा आने लगे या प्यास ज्यादा लगने लगे , तो गुर्दे ठीक से कार्य नही कर रहे होने का लक्षण हो सजता हैं ।

योग गुरू ने बताया कि गुर्दो द्वारा रक्त में स्थित अधिकांश उपयोगी पदार्थों का शोषण कर लिया जाता है लेकिन वे उत्सर्जित पदार्थ जो शरीर के लिए किसी भी रूप में उपयोगी नही होते तथा जिनका शरीर में बने रहना हानिकारक होता है ऐसे पदार्थों को लिक्विड रूप में मूत्र के रूप में बाहर निकल जाता है। उत्सर्जन की उस क्रिया में सबसे मुख्य पदार्थ यूरिया होता है। एक स्वस्थ व्यस्क मानव शरीर 25-30 ग्राम यूरिया प्रतिदिन मूत्र के रूप में उत्सर्जित करता है। इस क्रिया में पोटेशियम, हाइड्रोजन, अमोनिया, नाइट्रोजन के साथ साथ अतिरिक्त रक्त शर्करा आदि का उत्सर्जन किया जाता है। मूत्र में सोडियम व पोटैशियम के कण क्रिस्टल गुर्दे की पथरी को प्रकट करते हैं। मूत्र में पित्त की मात्रा का बढना पीलिया रोग का लक्षण हैं ।

उन्होने कहा कि नियमित योगाभ्यास गुर्दे को स्वस्थ व सक्रिय रखता है। उष्ट्रासन, शलभासन, मत्स्य आसन धनुरासन, भुजंगासन , सुप्तवज्रसान ये सभी उत्सर्जन तंत्र को मजबूत करते है। सूर्य नमस्कार का भी गुर्दो पर अच्छा प्रभाव पडता है यदि गुनगुना पानी पीकर सूर्य नमस्कार किया जाए तो गुर्दे के रोग को कम करने में सहायता मिलती है। मूलबन्ध, उडड्यान बन्ध, के प्रभाव से गुर्दो पर खिचाव पडता है जिससे गुर्दे की क्रिया शीलता बढती है।

प्राणायाम से गुर्दो को उर्जावान बनाया जा सकता है जिससे बहुमुत्र, अल्पमूत्र, किडनी फेल्योर की स्थिति से निबटा जा सकता है। अनुलोम विलोम, शीतली, भ्रामरी, आदि का अच्छा प्रभाव पडता है। ।