नई दिल्ली, केंद्रीय चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि सभी राजनीतिक दल अपने एकाउंट का ब्यौरा रखें। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने सिफारिश की है कि राजनीतिक पार्टियां सीए (चार्टर्ड एकाउंट) से अपने एकाउंट का ऑडिट कराएं। फिर उसके बाद ऑडिट का ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपा जाए। सभी राजनीतिक पार्टियां पैसे का पूरा लेखा – जोखा रखें।
सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने के कानून में भी बदलाव की मांग की है। आयोग ने गलत एफिडेविट देने पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित किए जाने के साथ ही यह भी सिफारिश की है कि एक उम्मीदवार एक ही क्षेत्र से चुनाव लड़ें। लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार का चुनाव खर्च सत्तर लाख रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। साथ ही आयोग चाहता है कि चुनाव प्रक्रिया में रिश्वत के केस में दो साल की सजा हो। गलत एफिडेविट देने की स्थिति में दो साल की सजा की भी चुनाव आयोग ने मांग की है।
चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले एक्जिट पोल पर भी रोक लगाने की मांग की है। ओपनियिन पोल पर भी कुछ हद तक प्रतिबंध पर जोर दिया है। साथ ही आयोग ने चुनावी पार्टियों की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिए जाने की मांग भी की है। आयोग ने केंद्र से सिफारिश की है कि 20 हजार से ज्यादा चंदा देनेवालों का ब्यौरा होना चाहिए। चंदा देनेवालों का नाम, पता और पैन नंबर होना चाहिए। राष्ट्रीय पार्टियों और विधानसभा चुनाव लड़नेवाली पार्टियों को आयकर में छूट मिलनी चाहिए।
भारत में 1780 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल हैं। इसके अलावा देश में सात राष्ट्रीय दल- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, तृमूकां, भाकपा, माकपा और राकांपा हैं। इसके अलावा 58 क्षेत्रीय दल हैं। अरसे से चुनाव सुधार की उठ रही मांग अब जोर पकड़ने लगी है।