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सुजाता गिदला एक दलित के रूप में बिताई गई जिंदगी के ऊपर लिखेंगी किताब

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नयी दिल्ली, न्यूयॉर्क सबवे में कंडक्टर के रूप में काम करने वाली सुजाता गिदला की जीवनी जल्द ही लोगों को पढ़ने को मिलेगी। इस जीवनी में वह गरीबी, हिंसा और जाति तथा लिंग आधारित भेदभाव के साथ ही भारत में एक दलित के रूप में बिताई गई अपनी जिंदगी के बारे में लिखेंगी।

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 उनकी किताब ‘आंट्स एमंग एलिफेंट्स: एन अनटचेबल फैमिली एंड द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया” दिसंबर में हार्परकॉलिंस इंडिया से छपकर आएगी।

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 इस किताब में गिदला की चार पीढ़ियों की कहानी होगी जिसके मध्य में उनके चाचा के जी सत्यमूर्ति  होंगे। वह माओवादी, कवि तथा पीपल्स वार ग्रुप के सह-संस्थापक थे तथा शिवसागर के छद्मनाम से लिखते थे।

उन्होंने कहा, “ मेरी किताब की पृष्ठभूमि में सिर्फ भारत नहीं है। हमारे जैसे परिवार वालों के लिए आजाद भारत का क्या मतलब होता है, यह उसकी कहानी है। मैं बहुत उत्साहित हूं कि यह किताब भारत के पाठकों तक पहुंचे।” गिदला का जन्म ‘अछूत’ माला जाति के घर में आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके माता-पिता कॉलेज में लेक्चरर थे।

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