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झोपडी से, 340 कमरों के महल का सफर

लखनऊ, राम नाथ कोविंद आज  देश के 14वें राष्ट्रपति बन गये हैं. राम नाथ कोविन्द का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर  की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था। राम नाथ कोविन्द का सम्बन्ध कोरी (कोली) जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।

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  कानपुर के रामनाथ कोविंद का बचपन गरीबी में बीता था।  घास-फूस की झोपड़ी में उनका परिवार रहता था. उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी. मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया. गांव में अभी भी दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है. ग्रामीणों ने बताया कि कोविंद 13 साल की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढ़ने जाते थे.

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 रामनाथ कोविंद के पिता ने एक छोटी सी किराना की दुकान से इन्हें पढ़ाया लिखाया। जब ये पांच वर्ष के थे तब इनके घर में आग लग गयी थी, इनकी माँ का देहांत आग में जलने से हो गया था, इनके सभी भाई-बहनों का पालन-पोषण इनके पिता ने किया। इनके पिता स्वर्गीय मैकूलाल शुरू से रामभक्त थे। इनके परिवार का पारंपरिक पेशा खेती था। दुकान और बैद्य से जो भी वक्त मिलता उसमे वह समाज कार्य करते थे।

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 उनके एक मित्र बताते हैं कि  हमने बचपन में उनके साथ इन्ही दिनों कच्ची अमिया खूब खायी हैं, गन्ने के रस की रास्यावर  हमने बहुत बार साथ खायी है, आज हमारे प्रदेश और हम सब के लिए ये बहुत गर्व की बात है, वो गांव के विकास के बारे में बचपन से ही सोंचते थे, पीपल के पेड़ के नीचे पांचवीं तक पढ़ाई हम दोनों ने की, आज वो इतने आगे पहुंच गये क्योंकि उन्होंने मेहनत बहुत की.

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 उन्होनें संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा भी तीसरे प्रयास में ही पास कर ली थी।वकालत की उपाधि लेने के पश्चात उन्होने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इन्होंने 16 साल तक प्रैक्टिस की. 1971 में दिल्ली बार काउंसिल के लिए नामांकित हुए थे.वह १९७७ से १९७९ तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे।

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 वर्ष १९९१ में भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गये। वर्ष १९९४ में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए।1994 में कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए. वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. वे कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं.

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 वर्ष २००० में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। इस प्रकार रामनाथ कोविन्द लगातार १२ वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।८ अगस्त २०१५ को बिहार के राज्यपाल के पद पर उनकी नियुक्ति हुई।

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 रामनाथ कोविंद के बड़े भाई प्यारेलाल अपने बेटे पंकज के साथ झींझक में रहते हैं। पंकज की कपड़े की दुकान है। दूसरे भाई मोहनलाल के बेटे सुरेश की भी झींझक में कपड़े की दुकान है। इतनी बड़ी हस्ती के सगे संबंधी होने के बावजूद दोनों सादगी से जीवन यापन कर रहे हैं।

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 कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है. छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया. 12 साल की सांसदी में कोविंद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया. ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविंद ने ग़रीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी.राम नाथ कोविंद जी ने इतनी मेहनत के बाद आज  झोपडी से 340 कमरों के महल का सफर पूरा कर लिया हैं.