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तीन तलाक पर राजनीति नहीं हो, मामले को समान नागरिक संहिता से जोड़कर ना देखा जाए- बीएमएमए

 नई दिल्ली,  उच्चतम न्यायालय में 11 मई से तीन तलाक के मामले पर सुनवाई आरंभ होने से पहले भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन  ने आज इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राय का समर्थन करते हुए कहा कि तीन तलाक महिला अधिकार से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा खत्म करने के लिए मुहिम चला रहे इस संगठन ने तीन तलाक के मामले को समान नागरिक संहिता के साथ जोड़ने के प्रयासों की आलोचना करते हुए कहा कि ये दोनों मामले अलग हैं क्योंकि समान नागरिक संहिता का संबंध किसी एक समुदाय विशेष से नहीं है।

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बीएमएमए की सह-संस्थापक नूरजहां सफिया नियाज ने भाषा से कहा, तीन तलाक का मामला मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़ा है। इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीतिकरण करने से तीन तलाक पर चल रही मुहिम अपने रास्ते से भटक जाएगी।

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गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि तीन तलाक पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और इस मामले को हल करने के लिए मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी खुद आगे आएं। सफिया नियाज ने कहा, कुछ लोग तीन तलाक के मामले को समान नागरिक संहिता से भी जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

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हम पहले से कहते आ रहे हैं कि समान नागरिक संहिता किसी एक समुदाय से जुड़ा मुद्दा नहीं है। इस पर आगे बढ़ने के लिए हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी और दूसरे सभी समुदाय के लोगों को विश्वास में लेना होगा। तीन तलाक मुस्लिम समाज का मामला है और इसलिए इसको एक अलग मुद्दे के तौर पर देखने की जरूरत है।

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