नई दिल्ली , आज रात एक घंटे तक दुनियाभर में लाइट्स बंद रहेंगी. इस साल आज रात 8:30 बजे एक घंटा लाइट्स बंद करने की अपील है. ‘अर्थ आवर डे’ बिजली बचाने के मकसद से शुरू किए गए अभियान का हिस्सा है. इस अभियान का नाम ‘अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड’ है. जिसे World Wide Fund for Nature संस्था चलाती है. इस संस्था का मकसद लोगों को बिजली बचाने, पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है.
‘अर्थ आवर डे’ के दिन लोगों से कुछ देर (लगभग एक घंटा) के लिए गैर जरूरी बिजली उपकरण बंद रखने की अपील की जाती है. इस साल रात 8:30 बजे एक घंटा लाइट्स बंद करने की अपील है. इस साल का स्लोगन है, Change the Way We Live. ‘अर्थ आवर डे’ के दिन तय किये गए एक घंटे में रिक्वेस्ट की जाती है कि वे घरों, दफ्तरों की गैर जरूरी लाइट्स और बिजली से चलने वाली बाकी चीज़ें बंद रखें. अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड अभियान से जुड़ा दफ्तर सिंगापुर में है. यह अभियान 2007 से चर्चा में है. इस अभियान के तहत सिडनी में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देने के लिए एक घंटे लाइटें बंद कराई थीं. तभी से इसे पहचान मिली.
‘अर्थ आवर डे’ के दिन तय किये गए एक घंटे में रिक्वेस्ट की जाती है कि वे घरों, दफ्तरों की गैर जरूरी लाइट्स और बिजली से चलने वाली बाकी चीज़ें बंद रखें. अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड अभियान से जुड़ा दफ्तर सिंगापुर में है. यह अभियान 2007 से चर्चा में है. इस अभियान के तहत सिडनी में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देने के लिए एक घंटे लाइटें बंद कराई थीं. तभी से इसे पहचान मिली. इस संस्था को 5 मिलियन से ज्यादा लोग सपोर्ट करते हैं, ये लोग 100 से अधिक देशों के बताए जाते हैं. संस्था का उद्देश्य प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोककर भविष्य को बेहतर बनाना है. दुनिया का सबसे बड़ा सौर उर्जा संयंत्र स्पेन में और दूसरे नंबर पर जर्मनी में है. भारत में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा में सौर ऊर्जा पैदा की जाती है.
बिजली बचाने के लिए भारत में छोटी लेकिन ज़रूरी कोशिश ये हुई कि एडिसन बल्ब (लट्टू) की जगह सीएफएल और फिर एलईडी बाजारों में उपलब्ध कराई गई. पीली रोशनी वाले बल्ब से ज्यादा लाइट खर्च होती थी. सीएफएल में इसकी तुलना में कम और एलईडी में उससे भी कम बिजली खर्च होती है. दुनिया भर में नए-नए संसाधनों से बिजली बनाने और बचाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं. हाल ही में एक ऐसी डिवाइस क्रिएट की गई, जिसके ज़रिए वाईफाई से बिजली आ सकेगी. ये डिवाइस MIT और द टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड के वैज्ञानिकों ने बनाई है. डिवाइस वाईफाई सिग्नल्स को एनर्जी में बदलेगी. वो एनर्जी इलेक्ट्रिसिटी बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है.