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बात-बात पर होने वाली चिड़चिड़ाहट कहीं इस कारण तो नहीं

हार्मोन्स का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। ये न सिर्फ शरीर की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं, बल्कि शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित भी करते हैं। लेकिन जब हार्मोन के स्राव में असंतुलन होता है तो शरीर के पूरे सिस्टम में गड़बड़ी आ जाती है और स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे शरीर में जरूरी हार्मोन्स का उचित मात्रा में स्राव होता रहे।

क्या होते हैं हार्मोन्स: हार्मोन्स किसी कोशिका या ग्रंथि द्वारा स्रावित ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर के दूसरे हिस्से में स्थित कोशिकाओं को भी प्रभावित करते हैं। शरीर की वृद्धि, मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम पर इसका सीधा प्रभाव होता है। हमारे शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन्स की छोटी-सी मात्रा ही कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म को बदलने के लिए काफी होती है। ये एक कैमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं।

क्या है फीमेल हार्मोन्स: फीमेल हार्मोन्स महिलाओं के शरीर को ही नहीं, उनके मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। किसी महिला के शरीर में हार्मोन्स का स्राव लगातार बदलता रहता है। यह कई बातों पर निर्भर करता है, जिसमें तनाव, पोषक तत्वों की कमी या अधिकता और व्यायाम की कमी या अधिकता प्रमुख है। फीमेल हार्मोन्स यौवनावस्था, मातृत्व और मेनोपॉज के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीरियड्स और प्रजनन तंत्र को नियंत्रित रखते हैं।’ ओवरी (अंडाशय) द्वारा सबसे महत्वपूर्ण जिन हार्मोन्स का निर्माण होता है वो फीमेल सेक्स हार्मोन्स हैं। यौवनावस्था आरंभ होते ही किशोरियों में जो शारीरिक बदलाव नजर आते हैं, वह एस्ट्रोजन के स्राव के कारण ही आते हैं। इसके बाद नारी जीवन में सबसे बड़ा बदलाव मासिक चक्र के बंद होने के दौरान आता है, जिसे मेनोपॉज कहते हैं।

हार्मोन्स असंतुलन का शरीर पर प्रभाव: हार्मोन्स असंतुलन के कारण महिलाओं का मूड अक्सर खराब रहने लगता है और वो चिड़चिड़ी हो जाती हैं। यह असंतुलन स्वास्थ्य संबंधी सामान्य परेशानियों जैसे मुहांसे, चेहरे और शरीर पर अधिक बालों का उगना, समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षण नजर आना से लेकर मासिकधर्म संबंधी गड़बड़ियां, सेक्स के प्रति अनिच्छा, गर्भ ठहरने में मुश्किल आना और बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। फीमेल हार्मोन्स की गड़बड़ी के अलावा कई महिलाओं में पुरुष हार्मोन्स टेस्टोस्टेरन का अधिक स्राव हिसुटिज्म की वजह बन जाता है।

 

हार्मोन असंतुलन के कारण: महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलन कई कारणों से प्रभावित होता है, जिसमें जीवनशैली, पोषण, व्यायाम, तनाव, भावनाएं और उम्र प्रमुख हैं। कई लोगों की यह अवधारणा है कि हार्मोन्स असंतुलन मेनोपॉज के बाद होता है जबकि यह पूरी तरह गलत है। कई महिलाएं सारी उम्र हार्मोन्स असंतुलन से परेशान रहती है। जीवनशैली और खानपान से जुड़ी आदतों में बदलाव के कारण महिलाएं हार्मोन असंतुलन की शिकार पहले की तुलना में ज्यादा हो रही हैं। जंक फूड और दूसरे खाद्य पदार्थों में कैलोरी की मात्रा तो बहुत अधिक होती है लेकिन पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है। इससे शरीर को आवश्यक विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते। कॉफी, चाय, चॉकलेट और सॉफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक इस्तेमाल करने के कारण भी कई महिलाओं की एड्रीनलीन ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है जो हार्मोन्स के स्राव को प्रभावित करती है। गर्भनिरोधक गोलियां भी हार्मोन्स के स्राव को प्रभावित करती हैं।

हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण: मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना। मासिक चक्र गड़बड़ा जाना। उत्तेजना। भूख न लगना। अनिद्रा। ध्यान केंद्रित करने में समस्या। अचानक वजन बढ़ जाना। सेक्स के प्रति अनिच्छा और रात में अधिक पसीना आना।

बचाव के उपाय

  • संतुलित, कम वसायुक्त और अधिक रेशेदार भोजन का सेवन करें।
  •  ओमेगा-3 और ओमेगा-6 युक्त भोजन हार्मोन्स संतुलन में सहायक है। यह सनफ्लावर के बीजों, अंडे, सूखे मेवों और चिकन में पाया जाता है। –
  • शरीर में पानी की कमी न होने दें। – रोज 7-8 घंटे की नींद लें। – तनाव से बचें, सक्रिय रहें।
  •  चाय, कॉफी, शराब के सेवन से बचें। – मासिक धर्म संबंधी गड़बड़ियों को गंभीरता से लें।
  • ध्यान और योगासन द्वारा अपने मन और शरीर को शांत रखने की कोशिश करें।