नई दिल्ली, मायावती के हमलों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने बसपा प्रमुख पर दलितों के नाम पर दौलत बटोरने और अपने शासनकाल के दौरान दलितों एवं पिछड़े वर्ग की चिंता नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि उत्तर प्रदेश में बुआ मायावती और भतीजे अखिलेश यादव की जुगलबंदी से राज्य की जनता त्रस्त है तथा वह सपा-बसपा के झांसे में अब और आने वाली नहीं है और विधानसभा चुनावों में इन लोगों को सबक सिखाएगी।
भाजपा ने कहा कि बसपा की रैली में मायावती की हताशा और निराशा स्पष्ट रूप से झलक रही थी। लगता है कि मायावती को भी अब यह लगने लगा है कि अब दलितों के नाम पर वोट बैंक की उनकी झूठी राजनीति की दाल उत्तर प्रदेश में गलने वाली नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि दलितों के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती दौलत की वसूली का काम कर रही हैं। यूपी में भ्रष्टाचार, अपराध और दुराचार की बुआ-भतीजे की जुगलबंदी से राज्य की जनता त्रस्त है। उत्तर प्रदेश की जनता सपा-बसपा के झांसे में अब और आने वाली नहीं है, वह आने वाले यूपी विधानसभा चुनावों में इन लोगों को सबक सिखाएगी।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की बहन-बेटियों का अपमान करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे लोगों को उत्तर प्रदेश की जनता अब बर्दाश्त नहीं करेगी। मायावती और अखिलेश यादव को यह जवाब देना होगा कि उत्तर प्रदेश की बहन-बेटियों का अपमान करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दिकी जैसे नेताओं पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? भाजपा नेता ने सवाल किया कि आखिर अखिलेश यादव की मायावती से किस तरह की जुगलबंदी है कि दोनों अपराधियों को सजा दिलवाने के मामले में मौन साध लेते हैं? सपा और बसपा की अपराधियों को पकड़ कर उन्हें सजा दिलवाने की मंशा कभी रही ही नहीं, यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
शर्मा ने कहा कि मायावती ने दलितों के नाम पर हमेशा से वोटबैंक की ही राजनीति की है। उन्होंने दलितों की भलाई के लिए अथवा उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए कुछ भी नहीं किया। यूपी की जनता जानती है कि जब-जब प्रदेश में बसपा सत्ता में आती है, दलितों पर उत्पीड़न का ग्राफ बढ़ जाता है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश के बारे में गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल 2008 से मई 2011 तक लगभग साढ़े चार वर्षों के मायावतीजी के शासनकाल में दलितों के उत्पीड़न की लगभग 30,000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। श्रीकांत शर्मा ने कहा कि इस दौरान उत्तर प्रदेश में कुल 1074 दलितों की हत्याएं हुईं जो पूरे देश में होने वाली घटनाओं का 30 प्रतिशत थीं। मायावती शायद यह भूल गई हैं कि उनके शासनकाल में ही दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए। 2011 में कन्नौज में हुए दलितों पर अत्याचार की घटना को कौन भूल सकता है?
मायावती के शासनकाल में बसपा विधायकों की गुंडागर्दी से पूरा प्रदेश खौफ के साए में जीने को मजबूर था। उन्होंने सवाल किया कि यह वोटबैंक की राजनीति नहीं है तो और क्या है कि दलितों की सबसे बड़ी हितैषी का दंभ भरने वाली मायावती के पास उना जाने का तो समय है लेकिन उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के बलात्कार पीड़ितों से मिलने तक का समय नहीं है, आखिर चुनावों के समय ही मायावती को दलितों की याद क्यों नहीं आती है? भाजपा नेता ने कहा कि यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि उत्तर प्रदेश में मायावती के पैरों तले से जमीन खिसक चुकी है। उत्तर प्रदेश की जनता का मायावती से पूरी तरह मोह भंग हो चुका है। प्रदेश की जनता ने 2012 में ही मायावती को सत्ता से बेदखल कर के यह स्पष्ट कर दिया था कि उत्तर प्रदेश में उनकी वोट बैंक और तुष्टीकरण की घृणित राजनीति का कोई स्थान नहीं है। शर्मा ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में तो बसपा को एक भी सीट नहीं देकर जनता ने इस बात पर मुहर भी लगा दी। यही कारण है कि बसपा के सारे दिग्गज एक-एक करके मायावती से किनारा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता यह समझ चुकी है कि दलितों के नाम पर दिखावे की राजनीति से दलितों का विकास नहीं होने वाला।
शर्मा ने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के मुताबिक 2004-13 के दौरान दलितों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामलों में 1994-2003 की तुलना में 245 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उत्तर प्रदेश की जनता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि संप्रग सरकार सपा और बसपा के ही समर्थन से चलने वाली सरकार थी। ऐसे में आखिर किस मुंह से मायावती दलितों की सबसे बढ़ी हितैषी होने का दंभ भर सकती हैं? भाजपा नेता ने दावा किया कि कई सर्वेक्षणों में यह साबित हो चुका है कि मोदी सरकार के समय में सपा-बसपा और कांग्रेस की मिलीजुली संप्रग सरकार की तुलना में एससी, एसटी और महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न में काफी कमी आई है। मोदी सरकार ने दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कई ठोस कदम उठाये हैं।
उन्होंने कहा कि मायावती को यह याद होना चाहिए कि मोदी सरकार के दो वर्षों के शासनकाल में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप विपक्षी भी नहीं लगा पाए हैं जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई हैं। शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की जनता को आश्वस्त करती है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही या तो अपराधियों, भ्रष्टाचारियों और दुराचारियों को अपराध छोड़ना होगा या फिर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा। यूपी में भाजपा की सरकार बनते ही हमारी सबसे पहली प्राथमिकता प्रदेश में अपराधियों को कड़ी-से-कड़ी सजा दिलवाने और बहन-बेटियों को सुरक्षित करने की होगी।