Breaking News

ब्लैक होल्स पर ऐतिहासिक शोध का नेतृत्व कर रहे हैं असम के एक वैज्ञानिक

जोरहाट (असम), भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व वाले एक नए शोध में पाया गया है कि आकाशगंगा के वृहद ब्लैकहोल में 60 लाख साल पहले गैस का एक गुबार समा गया था और फिर लाखों सूर्यों के वजन वाला एक बड़ा बुलबुला बाहर निकलकर आया था। रोंगमन बोरदोलोई और कैंब्रिज स्थित एमआईटी में उनके अनुसंधानकर्ताओं के दल ने नासा के हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से पाया कि आकाशगंगा के गहरे ब्लैक होल से निकली गैसों के गुबार यानी फर्मी बबल्स के उत्तरी अर्द्ध हिस्से से कई सुदूर क्वासरों को देखा जा सकता है।

हब्बल स्पेस टेलीस्कोप ने क्वासर की रोशनी का परीक्षण किया ताकि गैस की गति से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि गैस पृथ्वी के पास आ रही है या दूर जा रही है। पदार्थ की गति के आधार पर शोध दल ने यह आकलन किया कि एक ऊर्जापूर्ण घटना से बने ये बुलबुले लगभग 60 से 90 लाख साल पहले बने थे। बोरदोलोई ने कहा, एक इंसानी जीवन में 60 से 90 लाख साल एक बड़ी अवधि लग सकती है, लेकिन यदि अंतरिक्षीय समयावधि के तौर पर देखें तो यह पलक झपकने जैसा है।

इस मापक का अंदाजा देने के लिए आपको बता दूं कि ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब साल पुराना है और डायनासोर लगभग 6.6 करोड़ साल पहले लुप्त हो गए थे। तो आकाशगंगा के वृहद ब्लैक होल में जो अंतिम ग्रास गया था, वह डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद गया था। उन्होंने कहा, हमने पहली बार इनमें से एक बुलबुले में ठंडी गैस की गति का पता लगाया है। इससे हम गैस के वेग को आंक सके और यह गणना कर सके कि बुलबुलों का निर्माण कब हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *