नई दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस की चिंता बढ़ गई है। शायद आरएसएस ने भारतीय राजनीति की आहट से भविष्य का अनुमान लगा लिया है।आरएसएस को 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा का भविष्य अच्छा नही नजर आ रहा है।
गुजरात विधानसभा के चुनाव नतीजों ने केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही नही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सकते में ला दिया है, क्योंकि गुजरात में दलित, उपेक्षित और पिछड़ा वर्ग जिस तरह से कांग्रेस की तरफ खिसका है, उससे संघ को इस बात का अंदेशा होने लगा है कि अगर लोकसभा चुनाव में भी यही हुआ, तो सत्ता में भाजपा की वापसी आसान नहीं होगी।
गुजरात विधानसभा के चुनाव नतीजों से एक बात साबित हो गई है कि भाजपा का दलित, पिछड़ा वर्ग में जनाधार कमजोर हो रहा है। अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल के प्रति देश के इनसे जुड़े वर्गो का आकर्षण बढ़ा है। इस स्थिति में संघ के पास सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि वह इन वर्गो में भरोसा पैदा करे।
दलित, उपेक्षित और पिछड़ा वर्ग यह महसूस कर रहा है कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है, तभी से दलित, आदिवासी और पिछड़ों पर अत्याचार शुरू हुए हैं। इन वर्गो के लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भाजपा के साथ संघ को भी यह लगने लगा है कि इस वर्ग के बीच से उसकी जमीन खिसक चली है। भाजपा और संघ अपने पुराने तौर तरीकों से लुभाने की कोशिश करने की तैयारी में है, मगर अब ऐसा होना आसान नहीं है।
सूत्रों के अनुसार,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में विदिशा में एकात्म यात्रा के दौरान इस बात का जिक्र भी कर दिया कि ‘अब समाज के उस वर्ग को करीब लाना होगा जो हमसे दूर है।’ मोहन भागवत ने साफ कहा कि समाज के उस वर्ग से जुड़ने का संकल्प लें, जो हमारे लिए काम करता है। लिहाजा घर में बर्तन साफ करने वाली, कटिंग करने वाला, कपड़े धोने वाला (पिछड़ा वर्ग), वहीं जूते-चप्पल सुधारने वाले (दलित) से सीधे संपर्क करें, त्योहारों के मौके पर उनके घर जाएं और अपने घर बुलाएं। इसके चलते एक साल में सात से आठ बार आपस में मिलना-जुलना होगा, जो समाज के हित में होगा।
संघ प्रमुख किसके लिए कहते हैं और उनकी बातों का असल तात्पर्य क्या होता है, यह संघ से जुड़े लोग ही सही-सही समझ पाते हैं। जब चुनाव को ध्यान में रखते हुए दलितों, पिछड़ों को जोड़ने की बात कही जा रही है तो जाहिर है, डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम बार-बार लिया जाएगा और लेकिन यह कतई नहीं बताया जाएगा कि डॉ. अम्बेडकर ने हिंदू धर्म क्यों छोड़ा।
लोकसभा चुनाव अगले वर्ष होना तय है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए चुनावी बिसात पर चालें चलना शुरू कर दी हैं।सूत्रों के अनुसार,राष्ट्रीय स्वयंसेवक की नजर समाज के उपेक्षित, दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग पर है और इसके लिए उसने एक कार्ययोजना भी बना ली है। सूत्रों का कहना है कि संघ ने हर मोहल्ले में लोगों का समूह बनाने की रणनीति बनाई है और इसके लिए स्वयंसेवकों को लक्ष्य भी सौंप दिए हैं। संघ की यह कोशिश कितनी कारगर होगी, यह तो वक्त ही बतायेगा।