अयोध्या, उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर परिसर में माता जानकी के अलावा भगवान के राम के जीवन में उनके करीब रहे पात्र शबरी, जटायु और निषाद राज के भी मंदिर बनाये जायेंगे।
राम मंदिर निर्माण समिति एवं श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की रविवार को देर शाम हुयी बैठक में जानकी मंदिर के निर्माण का भी फैसला किया गया। ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने सोमवार को बताया कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर परिसर में ही माता जानकी का मंदिर स्थापित करने की तैयारी हो रही है। ट्रस्ट के महामंत्री ने बताया कि सृष्टि के सामने नारी शक्ति के रूप में माता सीता का जीवन, समाज के सामने आना चाहिये, इसलिए उनका मंदिर बनने पर सहमति बनी है।
गौरतलब है कि बैठक में राय के अलावा मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा, कोषाध्यक्ष गोविंद सिंह गिरि, ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, महंत दिनेन्द्र दास, विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र, कामेश्वर चौपाल सहित अन्य लोग मौजूद थे।
राय ने बताया कि इसके साथ ही परिसर में ही महर्षि बाल्मीकि, गणेश जी, माता शबरी, निषाद राज व जटायु के भी मंदिर बनाने की योजना है। उन्होंने बताया कि बैठक में मंदिर निर्माण की समयसीमा के पालन और परकोटा निर्माण पर भी चर्चा की गयी।
राम मंदिर निर्माण समिति व ट्रस्ट की बैठक में मंदिर निर्माण के कार्यों की गति को बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा गया कि पूर्व निर्धारित समय सीमा में काम पूरा करने के लिये काम की गति को बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि उम्मीद के मुताबिक राम मंदिर का गर्भगृह अगस्त माह से आकार लेना शुरू कर देगा।
उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में भक्तों के लिये सुविधायें विकसित करने व सुरक्षा इंतजामों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि राम मंदिर का तीस प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। राजस्थान के भरतपुर से पत्थर आने की बाधायें भी अब दूर हो गयी हैं। पत्थरों की आपूर्ति आवश्यकतानुसार हो रही है।
राय ने कहा कि बरसात के पहले मंदिर की रिटेनिंग वॉल का निर्माण पूरा करने की तैयारी है। इसके बाद परकोटा निर्माण का काम शुरू होगा। रामलला के दर्शनार्थियों की तेजी से बढ़ रही संख्या को देखते हुए भक्तों के लिये आवश्यक सुविधायें विकसित करने पर भी मंथन हुआ। उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर की सुरक्षा का नये सिरे से खाका तैयार किया जा रहा है।
राय ने कहा कि रामचरित मानस के रचियता गोस्वामी तुलसी दास का मंदिर भी इसी परिसर में बनाने पर सहमति बनी है। ट्रस्ट के मुताबिक राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ भक्तों की सुविधाओं के लिये एक तीर्थ यात्री सुविधा केन्द्र निर्माण करने का भी काम शुरू करने पर सहमति कायम हो गयी। साथ ही पूरे परिसर का मानचित्र भी तैयार करने के लिये इंजीनियरों को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि अयोध्या में गणेश जी का कोई स्थान नहीं है, इसलिए गणेश मंदिर का भी बनना आवश्यक है। बैठक में गणेश मंदिर के स्थान पर चर्चा हुई।
राय ने बताया कि परिसर में 25 हजार भक्तों की क्षमता वाला एक तीर्थ यात्री सुविधा केन्द्र बनाया जायेगा। राम मंदिर निर्माण के साथ ही इसका भी काम शुरू होगा। परिसर के सबसे नजदीक प्रवेश द्वार के पास यह तीर्थ यात्री सुविधा केन्द्र बनेगा। यहां एक साथ 25 हजार यात्रियों के लिये जरूरी सुविधायें होंगी। रामजन्मभूमि प्रवेश मार्ग पर परिसर में बाईं तरफ सुविधा केन्द्र निर्मित किया जायेगा। इसका ले आउट बन गया है। इसमें तीर्थ यात्रियों के सामान रखने के लिये अमानती घर, जूता चप्पल रखने का स्थान, बैठने के लिये बेंच, एक बड़ा हाल, पेयजल व शौचालय आदि की व्यवस्था होगी।
राय ने बताया कि राम मंदिर में रामलला, बालरूप में ही विराजेंगे। उन्होंने कहा कि 70 सालों से जिन मूर्तियों के प्रति भक्त आस्था प्रकट करते आ रहे हैं, मंदिर में उन्हें ही स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति होती है, जो अचल होती है। उसे हटाया नहीं जा सकता। वो आकृति में बड़ी भी रहती है। जो चल प्रतिमा होती है उन्हें उत्सव मूर्ति भी कह सकते हैं। ऐसी ही एक रामलला की बड़ी मूर्ति स्थापित की जायेगी। किसी पूजा, उपासना में उनको गर्भगृह से बाहर भी निकाल सकते हैं। ऐसे में मंदिर में बाल रूप में ही राम विराजेंगे, साथ ही सफेद व काला मुक्तिनाथ ग्रे कलर के शालिग्राम स्थापित किये जायेंगे।