सहारनपुर जातीय दंगों से बनी दलित विरोधी छवि को सुधारने के लिये, बीजेपी का बड़ा प्लान

लखनऊ, सहारनपुर में दलितों पर हुए अत्याचार की घटना के बाद, अब बीजेपी को दलितों की चिंता सताने लगी है. इसलिए दलितों को बीजेपी से जोड़ने के लिये बीजेपी द्वारा विशेष प्रयास किये जाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं.

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सहारनपुर में हुये जातीय संघर्ष मे दलितों के उत्पीड़न की घटना सामने आई थी. दलितो पर उत्पीड़न के आरोप जहां बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लगे थे. वहीं दलितों मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका को लेकर भी आक्रोश है. दलितों का यह कहना है कि मुख्यमंत्री के इशारे पर दलितों के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही हुई और  मुख्यमंत्री के सजातीय उपद्रवियों को साफ छोड़ दिया गया.

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दलितों और राजपूतों के साथ हुये जातीय संघर्ष मे, दलितों के घर जलाये गये, उनकी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ लेकिन शासन के इशारे पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही. दलितों पर हुयी एकतरफा कार्यवाही मे, निर्दोषों को गिरफ्तार कर उनका उत्पीड़न किया गया . दलित युवकों के खिलाफ गंभीर धाराओं मे मुकदमे दर्ज किये गये. जिसके बाद विपक्ष ने बीजेपी और राज्य की योगी सरकार पर दलित विरोधी होने के आरोप लगाए थे.

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बीजेपी के नेतृत्व को लगता है कि सहारनपुर में दलितों पर हुए अत्याचार की घटना से दलितों में पार्टी के प्रति गलत संदेश गया है. इसको लेकर बीजेपी आलाकमान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी. इसलिए ये तय किया गया है कि सरकार के तीन साल पूरे होने के जश्न में सभी मंत्रियों के कार्यक्रम में दलित परिवार के साथ एक टाइम खाना खाने का प्रोग्राम रखा जाए.

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बीजेपी आलाकमान ने इस संबंध में सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं.मोदी फेस्ट के जरिए 15 जून तक सरकार के कामकाज का जश्न मनाया जाएगा.मंत्रियों से कहा गया है कि स्वच्छता अभियान के तहत एक जगह झाड़ू लगाने के साथ ही सभी मंत्री किसी दलित परिवार के घर खाना खाएं.

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अब देखना यह होगा कि क्या बीजेपी के यह प्रयास उसकी दलित विरोधी छवि को बदल पायेंगे.

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