Breaking News

सही रूप में करें एक्सरसाइज की प्लानिंग

gymहाइपोथायरॉयडिज्म या असक्रिय थायरॉयड के कारण थकान, जोड़ों में दर्द, धड़कनों का अनियमित हो जाना और डिप्रेशन जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसकी वजह से पूरे मेटाबॉलिज्म पर प्रभाव पड़ता है और इससे वजन बढ़ने की आशंका और तेज हो जाती है। दवाओं के साथ एक्सरसाइज का भी सही डोज मिले तो हाइपोथायरॉयडिज्म से जुड़े लक्षणों को दूर करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही साथ कार्डियोवेस्कुलर हेल्थ में भी सुधार होता है।

धड़कनें होंगी नियमित

यदि हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज ना कराया जाए तो थायरॉयड हॉर्मोन का निम्न स्तर कार्डियक फिटनेस पर असर डाल सकता है। साथ ही इस समस्या से गुजर रहे रोगियों की धड़कनें भी अधिक तेज गति से चलने लगती हैं। दवा, एक्सरसाइज की मदद से कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है। नियमित रूप से दौड़ने, चलने या कोई खेल खेलने से कार्डियक हेल्थ बेहतर होती है। इससे डिप्रेशन और थकान जैसे लक्षण दूर होते हैं।

जोड़ होते हैं मजबूत

हाइपोथायरॉडिज्म से पीड़ित लोगों में मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है। घुटनों पर कम प्रभाव डालने वाली गतिविधियां जैसे योगा, पाइलेट्स, वॉकिंग, स्वीमिंग और बाइकिंग आदि फायदेमंद होती है।

मांसपेशियां मजबूत होती हैं

चूंकि हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण मेटाबॉलिज्म दर कम हो जाता है और ऐसे में वजन तेजी से बढ़ने लगता है। वजन बढ़ने के कारण कई अन्य सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के जरिए मसल्स बनाने से इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मोटापे के कारण एक्सरसाइज के प्रति प्रतिक्रिया की गति कम हो जाती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *