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72 मौत, 13 साल के आरक्षण आंदोलन के बाद, बीजेपी ने किया, गुर्जरों को खाली हाथ

जयपुर,गुर्जरों को  अनुसूचित जन जाति मे शामिल करने की मांग के लेकर  13 साल चले लम्बे आंदोलन और 72 जानें गंवानें के बाद, राजस्थान की बीजेपी सरकार ने आज फिर  गुर्जरों को ठीक 13 साल पहले वाली स्थिति मे लाकर खड़ा कर दिया है।

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 गुर्जर सहित पांच जातियों को 13 साल बाद पुन: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण कोटे में शामिल कर​ लिया गया है। ये जातियां ओबीसी में भी अस्थाई रूप से शामिल हो पाई हैं। इससे पहले इन जातियों विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) आरक्षण कोटे में शामिल किया गया था। राजस्थान में , अब नई अधिसूचना जारी होने के बाद एसबीसी में आरक्षण समाप्त हो गया है।

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 नई अधिसूचना से गुर्जर सहित पांच जातियां पिछले 13 वर्ष में जहां से चली थी, वापस वहीं पहुंच गई हैं। उस समय गुर्जरों ने अनुसूचित जाति (एसटी) में आरक्षण की मांग पर पीलू का पुरा से उग्र आंदोलन शुरू हुआ था, जिसमें 72 लोगों की जान चली गई थी।

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गुर्जर आरक्षण आंदोलन भाजपा के पिछले कार्यकाल में शुरू हुआ यह आंदोलन, भाजपा सरकार के लिए सबसे बडी मुश्किल बना है।इसी आंदोलन में 72 गुर्जरों को अपनी जान गंवानी पड़ गई थी। गुर्जर समाज की एसटी में आरक्षण देने की मांग थी, लेकिन राजस्थान सरकार ने संवैधानिक समस्याएं गिनाते हुए करीब 8 वर्ष पूर्व नई अधिसूचना जारी कर नया विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) आरक्षण कोटा बनाया।

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गुर्जर आरक्षण आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार ने गुर्जरों को विशेष पिछडा वर्ग में शामिल करने का कानून बनाया था। यह कानून दो बार बनाया गया, लेकिन दोनों बार इसे हाईकोर्ट में चुनौती मिली, क्योंकि इसके चलते राजस्थान में आरक्षण 54 प्रतिशत तक चला गया था। पिछले वर्ष दिसम्बर में हाईकोर्ट ने जब दोबारा बनाए गए कानून को भी खारिज कर दिया, तो गुर्जर न ओबीसी में रहे और एसबीसी में और सामान्य श्रेणी में आ गए। इससे उनका आरक्षण का लाभ ही खत्म हो गया।

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लेकिन शुक्रवार को जारी अधिसूचना के बाद ये एसबीसी आरक्षण समाप्त हो गया है।  जारी अधिसूचना के अनुसार बंजारा बालदिया एवं लबाना, गड़रिया, गाडरी तथा गायरी, गड़िया लोहार एव गोडिलिया, गूजर एवं गुर्जर और राइका, रैबारी तथा देबासी जातियों को एक बार फिर अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया गया है। खास बात यह है कि 13 वर्ष पहले भी गुर्जर ओबीसी में ही शामिल थे।

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