लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम के लिए सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो ने यहां कांग्रेस की एक उप समिति को कहा, ‘‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को पांच अगस्त को हटाने के बाद से हमने भारत सरकार से मानवाधिकारों के संबंध में अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं को संतुलित करने का अनुरोध किया है।’’
उन्होंने ‘दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों’ पर सुनवायी के मद्देनजर कांग्रेस की उप समिति को सौंपे एक बयान में कहा, ‘‘अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र को सामान्य व्यवस्था में लाने की योजना की घोषणा की। हालंकि अभी तक स्थिति जटिल है।’’
डेस्ट्रो ने कहा कि ज्यादातर इलाकों में कर्फ्यू हटा लिया गया, लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गई और हिरासत में लिए गए कई लोगों को रिहा किया गया।
उन्होंने कहा कि लेकिन अभी तक कुछ जिलों में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बाधित हैं। ऐसी खबरें हैं कि इससे दवाओं की कमी हो गयी, इलाज मिलने में देरी हो रही है और कारोबार ठप पड़ गए। संचार अवरोध के कारण स्थानीय कार्यकर्ता और पत्रकार घाटी के मौजदा हालात पर खबरें नहीं दे पा रहे हैं।
अमेरिकी मंत्री ने कहा, ‘‘हम स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के साथ ही जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पर रोक से चिंतित हैं।’’
उन्होंने अपने बयान में अद्यतन राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे पर भी चिंता व्यक्त की जिससे असम में 19 लाख लोग नागरिकता विहीन हो गए हैं।