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2030 तक एड्स को समाप्त करने के लिये भारत का माडल बेहतर

नयी दिल्ली ,  एचआईवी रोकथाम सम्मेलन के लिए वैश्विक बचाव गठबंधन की मंत्री स्तरीय बैठक को वर्चुअल माध्यम से डॉ. हर्षवर्धन ने आज संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने 2030 तक एड्स को समाप्त करने की संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रतिबद्धता को हासिल करने को संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 इसके लिए अहम साबित होने वाला है।

वैश्विक एचआईवी रोकथाम सम्मेलन को इस साल यूएनएआईडीएस और यूएनएफपीए ने आयोजित किया है। सम्मेलन में शामिल सदस्य देश 2010 के स्तर के 2020 के अंत तक व्यस्क एचआईवी संक्रमण में 75 प्रतिशत कमी लाने पर प्रतिशत कमी लाने पर सहमत हुए हैं। साथ ही सभी ने 2030 तक एड्स को समाप्त करने की संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रतिबद्धता को बार फिर दोहराया।

उन्होंने बताया कि वैश्विक एड्स कार्रवाई में नए संक्रमण में कमी लाने, प्रमुख जनंसख्या के लिए रोकथाम सेवाओं तक पहुंच में सुधार और उपचार और एचआईवी से ग्रस्त लोगों के लिए उपचार सेवाएं प्रदान करने में सफलता हासिल की है। साथ ही एड्स से जुड़ी मौत के मामलों में कमी लाने, माता से बच्चों में होने वाले एचआईवी संक्रमण में कमी लाने में भी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और एचआईवी जैसी महामारी से लड़ने के लिए इसके अनुकूल वातावरण बनाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि संगठन ने विश्व को एक ऐसा मॉडल दिखाया है जहां अनेक पक्ष मिलकर एक साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जुटकर काम कर सकते हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत से विश्व को जैनेरिक एंटी-रेक्ट्रोवायरल ड्रग्स के प्रावधान का एचआईवी महामारी पर नियंत्रण लाने में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है। उन्होंने महसूस किया कि आम तौर पर वैश्विक एड्स कार्रवाई नवाचार सेवा प्रदान करने के मॉडल का शीर्ष रही है, जिसमें सामाजिक संगठनों का योगदान रहा।

भारत के अनूठे एचआईवी रोकथाम मॉडल के बारे में उन्होंने कहा कि यह सोशल कॉन्ट्रैक्टिंग की अवधारणा पर आधारित है। जिससे लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रम अमल में लाया जाता है। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से इस कार्यक्रम का उद्देश्य दूर-दूर तक सेवा प्रदान करना, परामर्श और टेस्टिंग तथा एचआईवी केयर के साथ लिंकेज सुनिश्चित करना है।