कौशांबी. प्राचीन काल में बुद्ध नगरी के नाम से पूरे विश्व में ख्याति अर्जित करने वाले उत्तर प्रदेश के कौशांबी में आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर उन्हें याद किया गया ।
कोविड-19 का ध्यान रखते हुए बौद्ध भिक्षुओं ने इस बार भी सादगी से बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन कर उनकी प्रतिज्ञाएं स्मरण करते हुए वर्तमान में उन्हें प्रासंगिक बताया। यमुना के सुरम्य तलाहटी में बसे अतीत का समृद्ध शाली बौद्ध नगरी कौशांबी में बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद महात्मा बुद्ध ढाई हजार वर्ष पूर्व यहां के धन्ना सेठ घोषिता रामके आमंत्रण पर आए थे । अपना नवा चातुर्मास यानी वर्षा के 4 महीने कौशांबी में रह कर तप कियाथा। उन्हीं के निर्देश पर सेठ घोषिताराम ने यमुना के किनारे विशाल बौद्ध बिहार बनवाया ,जिसमें एक साथ 10,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु बैठकर भगवान बुद्ध के उपदेशों को सुना करते थे।
तभी बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए कौशांबी तीर्थ बन गया और चल पड़ा बुद्धं शरणं गच्छामि । महात्मा बुध के अनुयाई जब तक यहां नहीं आते उनकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती मानी जाती है। कालांतर में यमुना के किनारे 5 किलोमीटर की परिधि में फैली हुई कौशांबी नगरी उजड़ गई उसका अधिकांश हिस्सा यमुना की लहरों में बह गया । प्राचीन समृद्धता का प्रतीक केवल कुछ भग्नावशेष और खंडहर मूक दर्शी गवाह बने हुए हैं। उनमें से घोषितराम बौद्ध बिहार, सम्राट अशोक की खंडित लाट, महाराज उदयनका महल खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं और तत्कालीन पुरानी यादों को ताजा कर देते हैं ।बौद्ध धर्मावलंबी कौशांबी को अपना तीर्थ स्थान मानते है।
जापान, तिब्बत ,वियतनाम, श्रीलंका ,कंबोडिया, थाईलैंड आदि देशों से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग आते हैं । बौद्ध भिक्षुओं का विश्वास है कि महात्मा बुद्ध का स्मरण करने मात्र से बीमार भिक्षु स्वस्थ हो जाता है । महात्मा बुद्ध की शरण में आने से बौद्ध भिक्षु रोग ,शोक से मुक्त हो जाते हैं । कौशांबी में स्थित कंबोडिया मंदिर के भंते,टेपुत्थी और चंदेन बताते हैं कि बौद्ध धर्म के लिए कौशांबी का बड़ा महत्व है यहां के सेठ घोषितराम जो बौद्ध बिहार बनवाया था अब वह खंडहर बन चुका है यहां आकर बौद्ध भिक्षु उसके दर्शन करते हैं और माथा टेकते हैं ।
कौशांबी में प्रति वर्ष 20,000 से अधिक पर्यटक आते हैं । यहां आकर बुद्ध विहार कंबोडिया मंदिर, श्रीलंका बुद्ध विहार और म्यांमार मंदिर का दर्शन करते हैं । श्रीलंका बुद्ध विहार मंदिर के पुजारी विशुद्धि महाथेरो ने बताया यहां हर वर्ष 20 से 22 हजार बौद्ध भिक्षु महात्मा बुद्ध की तपोस्थली कौशांबी के दर्शन करने आते हैं लेकिन 2 वर्षों से कोविड-19 महामारी की वजह से इस बार भी सादगी के साथ बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई मनाई जा रही है। भगवान बुद्ध से प्रार्थना की गई है कि इस कोरोना जैसी घातक बीमारी से पूरे विश्व को मुक्त कराएं और सर्वत्र सत्य और अहिंसा की गूंज उठे।