अकेलेपन से जूझती माया के किरदार में छाया मनीषा कोइराला का जादू
June 3, 2017
इस फिल्म के साथ सालों बाद मनीषा कोइराला बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं। फिल्म का निर्देशन सुनैना भटनागर ने किया है और बतौर निर्देशक यह सुनैना की पहली फिल्म है। फिल्म में मनीषा कोइराला के अलावा मदीहा इमाम और श्रेया चौधरी भी मुख्य किरदार में नजर आ रही हैं। सुनैना भले ही पहली बार इस फिल्म से निर्देशक बन रही हों, लेकिन वह इससे पहले निर्देशक इम्तियाज अली को कई फिल्मों में असिस्ट कर चुकी हैं।
डीयर माया कहानी है दो दोस्तों की जो शिमला में रहती हैं और वहीं के एक स्कूल में पढ़ती हैं। इन्हीं दो लड़कियों, ऐना और इरा के पड़ोस में रहती है माया देवी, जो कभी बाहर नहीं निकलती और एक बेरंग जिंदगी जी रही हैं। ईरा और ऐना को माया की इस जिंदगी के पीछे की सच्चाई पता चलती है तो वो उसकी जिंदगी में रंग भरना चाहते हैं पर माया के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश में खुद ईरा और ऐना की दुनिया हिल जाती है।
माया की इस जिंदगी और इरा और ऐना की दोस्ती का क्या हुआ? क्या जो चीजें बिगड़ी वो ठीक हो पाएंगी? इस सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए आपको थिएटर्स का रुख करना होगा। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी इस फिल्म की कुछ कमियां और कुछ खूबियां बता कर मैं आपको यह फैसला लेने में थोड़ी मदद कर सकता हूं। डीयर माया एक धीमी गति की फिल्म है और तेज गति और मनोरंजक फिल्मों के चाहने वालों के लिए ये फिल्म नहीं है। इस फिल्म का पहला हिस्सा मुझे थोड़ा खिंचा हुआ लगा।
इस हिस्से में कई खूबसूरत पल हैं लेकिन कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और आप कुर्सी पर बेचैन होने लगते हैं। डीयर माया जिंदगी में खूबसूरती, खुशी और खुद को ढूंढ़ने की बात करती है जहां हर किरदार गुजरते वक्त के साथ खुद को तलाशता है। लेकिन फिल्म की परेशानी ये है की दर्शक इस फिल्म में माया और इन दो दोस्तों के किरदार के बीच में बंट जाते हैं। न तो वो माया के किरदार के साथ चल पाते हैं और न ही इन दोनों दोस्तों के साथ रह पाते हैं।
इस कहानी पर आप यकीन नहीं कर पाते, लेकिन ये सिर्फ तब तक होता है जब तक कहानी की बाकी पर्तें नहीं खुलती और फिर धीरे धीरे आपको कहानी का फलसफा समझ में आता है। ये कुछ चंद खामियां हैं जो मुझे इस फिल्म में नजर आईं। फिल्म की खूबियों की बात करें तो इस कहानी की जब पर्तें खुलने लगती हैं तब आपको समझ आता है की लेखक और निर्देशक ने क्या कहने की कोशिश की है। डीयर माया एक गहराई वाली फिल्म है और जो दर्शक इस तरह का सिनेमा पसंद करते हैं उन्हे ये फिल्म पसंद आएगी। इस फिल्म का कहानी काफी अच्छी है, लेकिन इसके स्क्रीन प्ले को थोड़ा कसने और फोकस करने की जरूरत थी।
इस फिल्म के इमोशंस ज्यादातर समय आपको बांध कर रखते हैं और आपकी उत्सुकता अंत तक बरकरार रहती है। इन सबके अलावा इस फिल्म की खासियत हैं मनीषा कोइराला जिन्होंने दमदार अभिनय किया है। फिर चाहे उनका चाट खाने वाला सीन हो या फिर बाहरी जिंदगी से रूबरू होने वाला दृश्य। मनीषा ने हर भाव को बखूबी अंजाम दिया है। मनीषा के साथ साथ मदीहा और श्रेया ने भी जबरदस्त अभिनय किया है, दोनों के ही अभिनय में ठहराव है।
निर्देशक सुनैना की बतौर निर्देशक ये पहली फिल्म है और उन्होंने दिखा दिया की उनके अंदर एक परिपक्व निर्देशक के गुण हैं। इमोशनस के फिल्मांकन पर उनकी पकड़ है और डायरेक्शन की बारिकियां वो जानती हैं। उनकी इस पहली फिल्म को देखकर लगता है कि उन्हें बस अपने स्क्रीन प्ले पर हाथ साफ करने की जरूरत है। फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और संगीत के साथ ही लिरिक्स भी दमदार है।