Breaking News

मायावती के जन्मदिन पर विशेष- बहुजन आंदोलन ने बदल दी, एक शिक्षिका के जीवन की दिशा

लखनऊ , दलित नेता के रूप में उभरीं बसपा प्रमुख मायावती ने आज देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना ली है। शिक्षिका से राजनेता बनीं मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के सपनों को साकार करने के लिये अपना पूरा जीवन बहुजन आंदोलन को समर्पित कर दिया। पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यकों और दलित वर्ग के अधिकारों की बात करने वाली आज वह भारत में एकमात्र नेता  हैं।

 जानिये, क्या है बीएसपी की ‘ब्लू बुक’, मायावती आज अपने जन्मदिन पर करेंगी विमोचन

जन्मदिन पर विशेष-राजनीतिक क्षेत्र में यह कीर्तिमान है, डिम्पल यादव के नाम

रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ 11 की विजेता बनीं शिल्पा शिंदे

दिल्ली में प्रभु दयाल और रामरती के परिवार में जन्मीं चंदावती देवी को आज पूरा भारत ‘बहनजी’ के नाम से जानता हैं।पिता प्रभु दयाल भारतीय डाक-तार विभाग में वरिष्ठ लिपिक रहे। मां रामरती ने अनपढ़ होने के बावजूद अपने आठ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का पूरा जिम्मा उठाया। प्रभु दयाल ने अपनी बेटी को प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देखने का सपना संजोया था। पिता का सपना साकार करने के लिए मायावती ने काफी पढ़ाई भी की।

भाजपा विधायक के बिगड़े बोल, देश के संविधान को रखा ताक पर

बुद्ध का संदेश, हिंसा से करुणा की ओर बढ़ने के लिए जरूरी-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

भाजपा सरकार ने किसानों से धोखा किया, अब उनको अपमानित कर रही -अखिलेश यादव

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला विषयों में स्नातक किया। गाजियाबाद के लॉ कॉलेज से कानून की परीक्षा पास की और मेरठ यूनिवर्सिटी के वीएमएलजी कॉलेज से शिक्षा स्नातक (बी.एड.) की डिग्री ली। शिक्षा स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने दिल्ली के ही एक स्कूल में बतौर शिक्षिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।

अखिलेश यादव ने बताया, किस दिन मिलेगा यूपी को नया DGP….

जानिए क्यों महिला अध्यापकों ने मुंडवाया अपना सिर………

इस आईएएस को दे सकती है योगी सरकार एक बड़ी जिम्मेदारी

इसी दौरान, वर्ष 1977 में उनकी जान-पहचान कांशीराम से हुई। कांशीराम और उनके बहुजन आंदोलन ने मायावती के जीवन पर बहुत प्रभाव डाला। मायावती के जीवन में राजनैतिक और सामाजिक आंदोलनों के बढ़ते प्रभाव को देख पिता प्रभु दयाल चिंतित हुए। उन्होंने बेटी को कांशीराम के पदचिह्नों पर न चलने का सुझाव दिया, लेकिन मायावती ने अपने पिता की बातों को अनसुना कर दलितों के उत्थान के लिए कांशीराम द्वारा बड़े पैमाने पर शुरू किए गए कार्यों और आंदोलनों  में शामिल होना शुरू कर दिया।

इस वरिष्ठ विधायक का हुआ निधन,पार्टी में छाई शोक की लहर

राज्यसभा चुनाव- लालू की गैर-मौजूदगी के बावजूद, छक्का मारने की तैयारी मे तेजस्वी यादव

अबकी बार खास होगा मायावती का जन्मदिन, बसपा ने की बड़ा सियासी संदेश देने की तैयारी
लगभग सात साल तक कांशीराम से जुड़े रहने के बाद वह 1984 में कांशीराम द्वारा स्थापित बहुजन समाज पार्टी  में शामिल हो गईं। वर्ष 1984 में ही मायावती ने मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से अपना प्रथम चुनाव अभियान शुरू किया लेकिन उन्हें जनता का साथ नहीं मिला।  उन्होंने लगातार चार साल तक कड़ी मेहनत की और वर्ष 1989 का चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचीं। इस चुनाव में बीएसपी को 13 सीटें मिलीं। खुद मायावती बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुईं।

प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार जजों मे एक ने बताया, उन्होने क्यों एेसा किया..?

आलू किसानों की समस्याओं को लेकर, समाजवादी पार्टी करेगी धरना प्रदर्शन

यूपी में एकबार फिर IAS अफसरों के हुये तबादले, कई जिलों के डीएम बदले

वर्ष 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में गठबंधन की सरकार में, उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। वह उत्तर प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला हैं। मायावती 13 जून, 1995 से 18 अक्टूबर, 1995 तक मुख्यमंत्री रहीं। उनका पार्टी के प्रति लगाव और लोगों मे लोकप्रियता देख कांशीराम ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। मायावती वर्ष 2001 में पार्टी अध्यक्ष हो गयीं। मायावती ने दूसरी बार 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997, 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003 और चौथी बार 13 मई 2007 से 6 मार्च 2012 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कमान संभाली।

लालू यादव ने पत्रकारों की ली क्लास, बोले-थूकत बानी ऊहो छपअता..जेल अइह त पता चली..

अखिलेश यादव ने राजनीति में आगे के सफर के बारे में किया बड़ा खुलासा….

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कारनामों का किया खुलासा

 उपलब्धियों के साथ-साथ विवादों का मायावती से चोली-दामन का साथ रहा। अपने चौथे कार्यकाल के दौरान मायावती ने राज्य के विभिन्न जगहों पर बौद्ध धर्म और दलित समाज से संबंधित कई मूर्तियों का निर्माण करवाया, जिसमें नोएडा के एक पार्क में बनीं हाथियों की मूर्तियां काफी विवादों में रहीं।मायावती ने अपने राजनैतिक जीवन मे मुश्किल दौर को भी झेला हैं। छह सालों से वे यूपी में सत्ता से बाहर हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने की अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस, मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की

आजम खान ने सीएम योगी पर लगाए ये गंभीर आरोप…

जानिये क्यों बोले अखिलेश यादव- ये है वो जनसैलाब, जो लाएगा अगला इंक़लाब

मायावती को 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे तगड़ा झटका लगा। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी बस 19 सीटों पर सिमट गई। पार्टी के पास इतने भी एमएलए नहीं हैं कि वे अपने बहिनजी को राज्य सभा भेज सकें। लोगों ने बीएसपी को ख़त्म मान लिया ।

लालू प्रसाद यादव ने, सजा के खिलाफ, हाई कोर्ट मे की अपील

जानिये, प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार जजों के बारे मे…

मुख्तार अंसारी के भाई ने योगी सरकार पर लगाये गंभीर आरोप, बताया जान का खतरा

लेकिन हाल में हुए यूपी के नगर निकाय चुनाव मे मायावती ने यह दिखा दिया कि यूपी की राजनीति मे विरोधी उन्हे नजर अंदाज तो कर सकतें हैं पर समाप्त नही। मेरठ और अलीगढ़ में उनकी पार्टी के नेता मेयर का चुनाव जीत गए। सहारनपुर और आगरा में भी बसपा ने काँटे का मुक़ाबला किया.।उम्मीद है कि 2019 के लोकसभा चुनाव मे एकबार फिर वह चौंकाने वाले अंदाज मे वापसी करेंगी।

मोदी ही नही संघ भी परेशान है, पिछड़े- दलित-आदिवासियों के भाजपा से छिटकने से, ये है नयी रणनीति ?

मौका मिला तो अखिलेश यादव को छोड़ूंगा नहीं-अमर सिंह