सपा-बसपा सांप छछूंदर तो मुख्यमंत्री यह बतायें कि वह स्वयं क्या हैं ?- अखिलेश यादव
March 10, 2018
इलाहाबाद, बसपा और सपा गठबंधन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सांप- छछूंदर बताने पर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुये पूछा है कि मुख्यमंत्री यह बतायें कि वह स्वयं क्या हैं? अखिलेश यादव फाफामऊ के शांतिपुरम में सपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह पटेल के समर्थन में एक चुनावी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे।
अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुये कहा है कि हिन्दू-मुसलमान के नाम पर समाज को बांटा जा रहा है। सपा-बसपा के तालमेल पर एक को सांप और दूसरे को छछूंदर बताया जा रहा है तो मुख्यमंत्री यह बतायें कि वह स्वयं क्या हैं। संसद में रोने वाले हमें सांप छछूंदर बता रहे हैं जो शर्मनाक है। उन्होंने सपा-बसपा के गठबंधन पर योगी आदित्यनाथ द्वारा सांप छछूंदर की उपमा दिये जाने को लेकर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती को बुआ जी ही कहते हैं। यह सम्मान इसका सूचक है। अपने से बड़े का सम्मान करना क्या गलत है। क्या हम उनका नाम लेकर पुकारें या कोई एक मर्यादित रिश्ते से सम्बोधन किया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा और सपा के समझौते से भारतीय जनता पार्टी में घबराहट नजर आने लगी है। इसका उदाहरण चार दिन पहले ही भरे मंच पर लोगों ने देखा। प्रदेश के एक मंत्री ने बौखलाहट में किस तरह के अमर्यादित बयान उस समय दिया जब मंच पर मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री उपस्थित थे। अभी तो चुनाव हुआ नहीं अकुलाहट इतनी अधिक बढ़ गयी, परिणाम आयेगा तो क्या होगा।
उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी और उनका गठबंधन सांप छंछूदर का नहीं बल्कि यह प्रदेश का विकास करने वाला गठबंधन है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि 11 मार्च को होने वाले फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में जनता ही बता देगी कि यह गठबंधन सांप छंछूदर का है या फिर आने वाले समय के विकास का है। उन्होंने कहा कि फूलपुर की माटी से खुशबू आती है। खुशबू पहचानने की क्षमता होनी चाहिए। यहां की खूशबू लखनऊ ही नहीं देश के कोने कोने तक जायेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सबसे पहले अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा तो भाजपा ने डर कर पैराशूट प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। उन्हें कोई स्थानीय प्रत्याशी मिला ही नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू कर लोगों को बेरोजगार बनाने का काम किया। उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी कर जनता का पूरा पैसा बैंकों में जमा करवा लिया। उसके बाद उसे नीरव मोदी के हवाले कर बाहर भिजवा दिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि यह चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं है। देश की नयी राजनीति बदलने और विकास के नये रास्ते प्रशस्त करने का चुनाव है। भाजपा की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। वह जो कहती है उसपर कभी खरी नहीं उतरती। उन्होंने दावा किया वर्ष 2014 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जनता से किये अपने कितने वादे पूरा किये। किसानों का कितना कर्ज माफ किया। केवल अपने आप ही चिल्लाते रहे कि किसानों के करोड़ों रूपये के कर्ज माफ कर दिये। किसानों की न तो आमदनी बढी और न ही बेरोजगारों को रोजगार मिले। देश में हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा कहां गया। किसानाें के यदि कर्ज माफ हुये और उन्हें सुविधा मिल रही है तो वे क्यों आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।
सपा अध्यक्ष ने केन्द्र और प्रदेश का बजट किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे किसानों को लाभ होने वाला नहीं है। लच्छेदार वादे करना अलग बात है उसको धरातल पर साबित करना अलग है। विकास की बात करने वाले यह तो बतायें कि प्रदेश में कितने विकास किये गये। केवल नाम बदलकर योजनाओं को आगे बढाना विकास नहीं है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने सपा द्वारा चलायी गयी जनकल्याणकारी योजनाओं को बन्द किये जाने की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि समाजवादी पेंशन बन्द दी जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग प्रभावित है ।
उन्होंने दावा किया हमने तो एक्सप्रेस-वे बनाकर उसपर लड़ाकू विमान उतार कर दिखा दिया था कि क्या यह विकास नहीं है। भाजपा ने केवल सपा के योजनाओं और किये गये कार्यों का नाम बदल कर काम करने को विकास बता रही है। वह विकास की राजनीति करते हैं जबकि भाजपा नफरत एवं जातिवाद की राजनीति करती है।