दलित आंदोलन की घोषणा से हिली सरकार, एससी-एसटी कानून के पुराने स्वरूप को दी मंजूरी
August 2, 2018
नयी दिल्ली , उच्चतम न्यायालय के एक आदेश से कमजोर हुए अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार (निवारण) कानून को पुराने स्वरूप में लाने की मांग को लेकर 9 अगस्त को दलित संगठनों के भारत बंद के अाह्वान से घबरायी सरकार ने आखिर इसमें जरूरी बदलाव करने का निर्णय लिया है और इससे संबंधित विधेयक को बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
केन्द्रीय मंत्री एवं लोक जन शक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।सरकार ने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश से कमजोर हुए अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार (निवारण) कानून को पुराने स्वरूप में लाने के लिए इसमें जरूरी बदलाव करने का निर्णय लिया है और इससे संबंधित विधेयक को बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
उन्होंने बताया कि विधेयक दो – तीन दिन में संसद में पेश कर दिया जायेगा।श्री पासवान के अनुसार बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कानून के प्रावधानों को और कडा किया जायेगा। शुरूआत में कानून में 22 प्रावधान थे बाद में इसमें 25 और प्रावधान जोडे गये थे और अगल जरूरत पडी तो प्रावधानों को और कडा किया जायेगा।उच्चतम न्यायालय ने गत 20 मार्च को इस कानून के कुछ सख्त प्रावधानों को हटा दिया था जिससे इससे जुडे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गयी थी। इसके अलावा आरोपी को अंतरिम जमानत लेने की अनुमति भी मिल गयी थी।
दलित संगठनों ने इसका कडा विरोध करते हुए आगामी 9 अगस्त को भारत बंद का अाह्वान किया था। इससे पहले 2 अप्रैल को हुये जबर्दस्त दलित आंदोलन से सरकार सहमी हुयी थी। सरकार में शामिल लोक जन शक्ति पार्टी से संबद्ध दलित सेना ने सरकार से 9 अगस्त से पहले कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए विधेयक पारित करवाने या अध्यादेश लाने की मांग की थी। उसने कहा था कि ऐसा न किये जाने पर वह भी भारत बंद में शामिल होगी।