नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने इसी माह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की कंपार्टमेंट परीक्षाएं (पूरक परीक्षा) आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से विश्वविद्यालयों में अस्थायी प्रवेश दिलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का सुझाव दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा से कहा, ”उन छात्रों का प्रवेश कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में होना है और इसमें सीबीएसई कंपार्टमेंट परीक्षा देने वाले छात्रों की कुछ खास मदद नहीं कर पाएगी।” न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी पीठ का हिस्सा हैं।
इस पर श्री तन्खा ने कहा कि सीबीएसई कॉलेजों से इन छात्रों को अस्थायी प्रवेश देने या कंपार्टमेंट परीक्षाओं का परिणाम घोषित होने तक इंतजार करने का अनुरोध कर सकती है। न्यायालय कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच सीबीएसई की ओर से पूरक परीक्षा आयोजित करने के फैसले पर रोक लगाने संबंधी कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है।
न्यायालय ने याचिका की एक प्रति केंद्र को भेजने का निर्देश देने के साथ ही कहा,” हम सितंबर में दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए पूरक परीक्षा आयोजित करने के लिए सीबीएसई के फैसले को चुनौती देने और विश्वविद्यालयों में अस्थाई प्रवेश के लिए आग्रह संबंधी याचिका पर अगली तारीख पर सुनवाई करेंगे।”
श्री तन्खा ने कहा कि पूरक परीक्षाएं 22 सितंबर से 29 सितंबर के मध्य होनी हैं और तब तक विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश बंद हो चुका होगा। ऐसे में पूरक परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पाएगा और उनका पूरा साल बेकार चला जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सीबीएसई मुख्य परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा सका और मूल्यांकन की मिश्रित प्रणालियों के आधार पर परिणाम घोषित किए गए जिसकी वजह से कई छात्रों को कंपार्टमेंट परीक्षा में बैठना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ”कंपार्टमेंट परीक्षाओं में बैठने वाले करीब पांच लाख छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ करना जरूरी है।”