जयपुर,हर वर्ष साढ़े सात हजार से अधिक महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का सामना करना पड़ा वर्ल्ड कैंसर डे पर महिलाओं को कैंसर जागरुकता पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में जानकारी दी गई।
राजस्थान में हर वर्ष साढ़े सात हजार से अधिक महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का सामना करना जबकि स्वास्थ्यवर्धक खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर इससे बचा जा सकता है। यह जानकारी सुखम फाउंडेशन की और से वर्ल्ड कैंसर डे पर आज यहां महिलाओं के लिए कैंसर जागरुकता पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में दी गई।
रेडियोलोजिस्ट डा.सुनीता सिंघल ने बताया कि कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार राजस्थान में सभी तरह के कैंसर में 43 प्रतिशत महिलाओं की संख्या है, जिसमें 27 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर और 14 प्रतिशत गर्भाश्य एंव अंडाश्य का कैंसर शामिल है।
महिलाओं में बढ़ते कैंसर की रोकथाम एवं जांच के लिए स्तन का एक्स रे कराया जाता है। जिससे किसी तरह की गांठ या अन्य लक्षण का पता चलता है। इसमें केवल 40 वर्ष की उम्र तक की पांच प्रतिशत शहरी क्षेत्र की महिलाएं ही स्तन कैंसर का एक्स रे (मैमोग्राफी) कराती है। जबकि ग्रामीण महिलाओं का प्रतिशत इससे कम है। जो कि चिंताजनक है।
डा.सुनीता ने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे अधिक बच्चेदानी के कैंसर के मामले आते है। इसका सबसे बड़ा कारण ह्यूमन पेपलियोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण है। इसको रोकने के लिए एचपीवी टीकाकरण 15 से 30 वर्ष की महिलाओं को कराया जाना चाहिए। ताकि महिलाओं को इस संक्रमण से समय रहत बचाया जा सके। इसी तरह से पुरुषों में ओरल केविटि, फैफड़े, गला, खाने की नली का कैंसर मुख्य है।
सुखम फाउंडेशन के ट्रस्टी डा.सोमिल रस्तौगी ने बताया कि रक्त कैंसर को छोड़ दें तो, कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के भीतर तब पैदा होती है जब सामान्य कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित, असामान्य रूप से बढ़कर एक गांठ (ट्यूमर )के रूप में परिवर्तित हो जाता है।